मंगलवार 19 फरवरी को माघ मास की पूर्णिमा है। यह मास भगवान भास्कर और श्रीहरि विष्णु का माह बताया गया है। इस अवसर पर प्रयाग सहित पूरे देश के नदी व सरोवरों में आस्था की डुबकी लगेगी। माघ पूर्णिमा पर स्नान व दान का खास महत्व है। इस दिन से ही कलयुग की भी शुरुआत हुई थी। अस दिन महीनेभर से चल रहा कल्पवास संपन्न माना जाता है।
इस बार माघ पूर्णिमा पुष्य नक्षत्र में मनेगी। पुष्य नक्षत्र नक्षत्रों का राजा माना जाता है। पुष्य नक्षत्र में किया गया दान चिरस्थायी होता है। इसलिए इस बार माघ पूर्णिमा का खास महत्व हो गया है। पद्म पुराण के मुताबिक माघ में जप-तप से भगवान विष्णु अधिक प्रसन्न होते हैं। इस तिथि पर तिल,गुड़ व कंबल का विशेष महत्व है। इस तिथि पर दान-पुण्य से नरक लोक से मुक्ति मिलती है।
ग्रह-गोचरों का भी खास संयोग : माघ पूर्णिमा पर रूचक योग,बुधादित्य योग और कर्मजीव का संयोग बन रहा है। चंद्रमा से केंद्र में मंगल उच्च या अपनी राशि में हों तो रूचक योग बनता है। चंद्रमा से दशम भाव में मंगल के रहने से कर्मजीव योग और सूर्य व चंद्रमा के साथ रहने पर बुधादित्य योग बनेगा।
माघ स्नान का मुहूर्त: आकाश में शुभ तारों और नक्षत्रों की मौजूदगी में नदी व सरावरों में स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद अपने आराध्य की पूजा,फिर श्रीविष्णु भगवान की पूजा करें। स्नान व ध्यान के बाद यथाशक्ति ब्राह्मण व गरीबों में दान व भोजन भी कराएं।
कलयुग में भगवान दलितों व फकीरों के वेश में रहते हैं। इसलिए ईश्वर को पाने में अधिक यत्न नहीं करना पड़ता है। मानव मात्र की सेवा से ही ईश्वर की साक्षात कृपा मिलती है। इस दिन दलितों की सेवा का व्रत लेना चाहिए। यह सेवा जब हृदय से जुड़ती तो प्रार्थना बन जाती है। यह प्रार्थना ईश्वर को सबसे अधिक प्रिय होती है। माघ पूर्णिमा पर महाकुंभ में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
माघ मास में देवता पृथ्वी पर निवास करते हैं। माघ पूर्णिमा पर शीतल जल गंगा में डुबकी लगाने से व्यक्ति पापमुक्त होकर स्वर्ग लोक को प्राप्त करता है। ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार माघी पूर्णिमा पर स्वयं भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं। गंगाजल का स्पर्शमात्र भी स्वर्ग की प्राप्ति करा सकता है। हिन्दू पंचांग के मुताबिक ग्यारहवें महीने यानी माघ में स्नान, दान, धर्म-कर्म का विशेष महत्व है। इस दिन को पुण्य योग भी कहा जाता है।
ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार माघ पूर्णिमा के दिन स्नान के बाद दान करने से ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है।