Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

मां धूमावती जयंती आज : दुख, दरिद्रता और दुर्भाग्य दूर करती हैं मां धूमावती

हमें फॉलो करें मां धूमावती जयंती आज : दुख, दरिद्रता और दुर्भाग्य दूर करती हैं मां धूमावती
मां धूमावती जयंती : 10 जून 2019 
 
मां धूमावती देवी रहस्यमयी देवी हैं। 10 महाविद्याओं में सातवीं विद्या मानी गई हैं। अन्य विद्या जहां श्री यानी धन लक्ष्मी और समृद्धि का वरदान देती हैं वहीं मां धूमावती देवी गरीबी को अपने सूप में लेकर भक्तों के कष्टों का हर प्रकार से हरण करती हैं। 
 
जीवन से दुर्भाग्य, अज्ञान, दुःख, रोग, कलह, शत्रु सब मां धूमावती के वरदान और पूजन से निश्चित रूप से दूर होते हैं। 
 
जिन पर मां धूमावती देवी की कृपा होती है वह साधक ज्ञान, श्री और रहस्यों को जानने वाला हो जाता है। ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष अष्टमी का दिन मां  धूमावती जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष यह 10 जून 2019 को है। 
 
मां धूमावती विधवा स्वरूप में पूजी जाती हैं तथा इनका वाहन कौवा है, ये श्वेत वस्त्र धारण किए हुए, खुले केश रुप में होती हैं। धूमावती महाविद्या ही ऐसी शक्ति हैं जो व्यक्ति की दीनहीन अवस्था का कारण हैं। विधवा के आचरण वाली यह महाशक्ति दुःख दारिद्रय की स्वामिनी होते हुए भी अपने भक्तों पर कृपा करती हैं।
 
इनका स्वरूप इस प्रकार बताया है : अत्यंत लंबी, मलिन वस्त्रा, रूक्षवर्णा, कान्तिहीन, चंचला, दुष्टा, बिखरे बालों वाली, विधवा, रूखी आंखों वाली, शत्रु के लिये उद्वेग कारिणी, लंबे विरल दांतों वाली, बुभुक्षिता, पसीने से आर्द्र, सूप युक्ता, हाथ फटकारती हुई, बडी नासिका, कुटिला, भयप्रदा,कृष्णवर्णा, कलहप्रिया, तथा बिना पहिये वाले जिसके रथ पर कौआ बैठा हो.. ऐसी मां धूमावती की आराधना की जाती है। 
 
देवी का मुख्य अस्त्र है सूप जिसमे ये समस्त विश्व को समेट कर महाप्रलय कर देती हैं।
 
दस महाविद्यायों में दारुण विद्या कह कर देवी को पूजा जाता है। शाप देने नष्ट करने व  संहार करने की जितनी भी क्षमताएं है वो देवी के कारण ही है। क्रोधमय ऋषियों की मूल शक्ति धूमावती हैं जैसे दुर्वासा, अंगीरा, भृगु, परशुराम आदि।
 
चातुर्मास ही देवी का प्रमुख समय होता है जब इनको प्रसन्न किया जाता है।
 
ज्योतिष शास्त्रानुसार मां धूमावती का संबंध केतु ग्रह तथा इनका नक्षत्र ज्येष्ठा है। इस कारण इन्हें ज्येष्ठा भी कहा जाता है। ज्योतिष अनुसार अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में केतु ग्रह श्रेष्ठ जगह पर कार्यरत हो अथवा केतु ग्रह से सहायता मिल रही ही तो व्यक्ति को जीवन में दुख-दारिद्रय और दुर्भाग्य से छुटकारा मिलता है। केतु ग्रह की प्रबलता से व्यक्ति सभी प्रकार के कर्जों से मुक्ति पाता है और उसके जीवन में धन, सुख और ऐश्वर्य की वृद्धि होती है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

बन रहे हैं अत्यंत दुर्लभ योग, 16 जून को जब सूर्य करेंगे राशि परिवर्तन, क्या होगा 12 राशियों पर असर