नारी भारतीय परिवारों में लक्ष्मी का स्वरूप मानी गई है। मां अन्नपूर्णा ने उन्हें पोषण का वरदान दिया है। यह बहुत पुरानी सूक्ति है कि जहां नारी को पूजा जाता है वहां देवता रमण करते हैं। अलग-अलग शास्त्रों में सौभाग्यवती स्त्री के कुछ लक्षण वर्णित है। आइए जानते हैं उनमें से प्रमुख लक्षण क्या है-
सौभाग्यवती नारी वह होती है-
* जो मीठे वचन बोलती है। जिसकी आवाज में मधुरता हो और जो हर किसी से स्नेहिल वाणी में व्यवहार करती हो।
* आस्तिक, सेवा भाव रखने वाली, क्षमाशील, दानशील, बुद्धिमान, दयावान और कर्तव्यों का पालन पूर्ण निष्ठा से करने वाली लक्ष्मी का रूप होती है।
* जो स्त्री तन से अधिक मन से सुंदर हो।
* जो घर आए मेहमानों का स्वागत सत्कार करे।
* पराया दुख देखकर दुखी होकर अपनी सामर्थ्य के अनुसार उसकी सहायता करे और जो दूसरों को दुख-दर्द में देखकर उसको दूर करने में आनंद का अनुभव करे।
* घर की रसोई में भेद-भाव किए बिना समान रूप से सभी को भोजन परोसे।
* जो प्रतिदिन स्नान करके साफ और स्वच्छ वस्त्र पहन कर रसोई घर में प्रवेश करती है।
* सुबह शाम घर में देवी-देवताओं के सामने धूप, दीप और सुंगधित अगरबत्ती जला कर पूजा-पाठ करती है।
* पतिव्रत धर्म का पालन करे।
* धर्म और नीति के मार्ग पर चलने के लिए पारिवारिक सदस्यों को प्रेरित करे।