शुक्रवार का ग्रह है शुक्र ग्रह। शुक्रवार की प्रकृति मृदु है। यह दिन एक और जहां लक्ष्मी का दिन है वहीं दूसरी ओर काली का भी। यह दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य का दिन भी है। इस दिन माता लक्ष्मी और काली माता की पूजा करना चाहिए। यदि कुंडली में शुक्र की स्थिति निम्निलिखित अनुसार है तो शुक्रवार का व्रत करना चाहिए। आओ जानते हैं कि किसे शुक्रवार का व्रत रखना चाहिए।
1. शुक्र ग्रह की दो राशियां हैं वृषभ और तुला। यदि आपकी राशि ये हैं तो आपको शुक्रवार करना चाहिए।
2. कुंडली में शुक्र के साथ शुक्र के शत्रु ग्रह सूर्य व चंद्र है तो भी आपको शुक्रवार का व्रत करना चाहिए।
3. शुक्र यदि कन्या राशि में, 6वें घर में या 8वें घर या भाव में है तो भी शुक्रवार का व्रत करना चाहिए।
4. मंगल और शुक्र की युति हो तब भी शुक्र और मंगल के उपाय के साथ ही शुक्रवार का व्रत रखना चाहिए।
5. शरीर में गाल, ठुड्डी, अंगूठा, गुर्दा, यौनांग, अंतड़ियां और नसों से शुक्र का संबंध माना जाता है। यदि इस स्थानों में कोई समस्या है तो शुक्रवार का व्रत रखें।
6. यदि वैवाहिक जीवन कठिनाइयों भरा है तो भी शुक्रवार का व्रत रखान चाहिए।
7. धन और साधन सुविधा की कमी है तो शुक्रवार का व्रत रखना चाहिए।
8. कुंडली में शुक्र के साथ राहु का होना अर्थात स्त्री तथा दौलत का असर खत्म। ऐसी स्थिति में भी शुक्रवार का व्रत रखें।
9. यदि शनि मंदा अर्थात नीच का हो तब भी शुक्र का बुरा असर होता है। तब भी शुक्रवार का व्रत रखें।
10. गरीबी पीछा नहीं छोड़ रही है तो उपाय के साथ ही शुक्रवार का विधिवत रूप से व्रत रखें।
शुक्रवार के उपाय : कुंडली में शुक्र के दोषपूर्ण या खराब होने की स्थिति में लक्ष्मी की उपासना करें। शुक्रवार का व्रत रखें। खटाई न खाएं। स्त्री का सम्मान करें, पत्नी को खुश रखें। पराई स्त्री से संबंध न रखें। गृह कलह छोड़कर परिवार के सदस्यों के साथ प्यार से रहें। घर को वास्तु अनुसार ठीक रखें। सफेद वस्त्र दान करें। भोजन का कुछ हिस्सा गाय, कौवे और कुत्ते को दें। दो मोती लेकर एक पानी में बहा दें और एक जिंदगीभर अपने पास रखें। स्वयं को और घर को साफ-सुथरा रखें और हमेशा साफ कपड़े पहनें। नित्य नहाएं। शरीर को जरा भी गंदा न रखें। सुगंधित इत्र या सेंट का उपयोग करें। पवित्र बने रहें। शुक्रवार को माता लक्ष्मी के मंदिर में कमल का फूल अर्पित करना चाहिए या माता कालिका के मंदिर जाकर उन्हें काली चुनरी चढ़ाना चाहिए। इससे सभी तरह के संकट दूर हो जाते हैं। गृह कलह ना करें, घर की घर की दक्षिण-पूर्व दिशा को ठीक करें। र का बेडरूम और किचन भी ठीक कराएं। चरित्र को उत्तम बनाकर रखें। साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें।