जानिए कुंडली और अनायास धन प्राप्ति योग, पढ़ें 15 खास बातें
* लग्नेश द्वितीय भाव में तथा द्वितीयेश लाभ भाव में हो।
* चंद्रमा से तीसरे, छठे, दसवें, ग्यारहवें स्थानों में शुभ ग्रह हों।
* पंचम भाव में चंद्र एवं मंगल दोनों हों तथा पंचम भाव पर शुक्र की दृष्टि हो।
* चंद्र व मंगल एकसाथ हों, धनेश व लाभेश एकसाथ चतुर्थ भाव में हों तथा चतुर्थेश शुभ स्थान में शुभ दृष्ट हो।
* द्वितीय भाव में मंगल तथा गुरु की युति हो।
* धनेश अष्टम भाव में तथा अष्टमेश धन भाव में हो।
* पंचम भाव में बुध हो तथा लाभ भाव में चंद्र-मंगल की युति हो।
* गुरु नवमेश होकर अष्टम भाव में हो।
* वृश्चिक लग्न कुंडली में नवम भाव में चंद्र व बृहस्पति की युति हो।
* मीन लग्न कुंडली में पंचम भाव में गुरु-चंद्र की युति हो।
* कुंभ लग्न कुंडली में गुरु व राहु की युति लाभ भाव में हो।
* चंद्र, मंगल, शुक्र तीनों मिथुन राशि में दूसरे भाव में हों।
* कन्या लग्न कुंडली में दूसरे भाव में शुक्र व केतु हो।
* तुला लग्न कुंडली में लग्न में सूर्य-चंद्र तथा नवम में राहु हो।
* मीन लग्न कुंडली में ग्यारहवें भाव में मंगल हो।