krishna janmashtami 2024: श्रीकृष्ण का जन्म 8वें अवतार के रूप में 8वें मनु वैवस्वत के मन्वंतर के 28वें द्वापर में भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को 8वें मुहूर्त में आधी रात को जयंती नामक योग और रोहिणी नक्षत्र में तब हुआ था जबकि चंद्र अपने उच्च अंश में वृषभ राशि में विराजमान था और उस दिन सोमवार था। उस समय 6 ग्रह उच्च के थे। चौथे भाव में सिंह राशि थी जिसमें सूर्य विराजमान थे। पांचवें भाव में कन्या राशि में बुध विराजमान थे। छठे भाव की तुला राशि में शनि और शुक्र ग्रह थे। नौवें अर्थात भाग्य स्थान पर मकर राशि थी जिसमें मंगल ग्रह उच्च के होकर विराजमान थे। 11वें भाव में मीन राशि के गुरु उच्च के होकर विराजमान थे। इस तरह कई शुभ योग संयोग में उनका जन्म हुआ था। इस बार भी ऐसी ही ग्रह नक्षत्र परिथिति बनी है।
26 अगस्त 2024 सोमवार को कृष्ण जन्माष्टमी का 5251वां जन्मोत्सव त्योहार मनाया जाएगा। इस बार 7 शुभ योग संयोग में करें पूजा तो मिलेगा दोगुना फल। जानिए कौनसे हैं यह शुभ योग।
1. अष्टमी तिथि: श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद की अष्टमी तिथि को हुआ था। तब रोहिणी नक्षत्र भी था। इस बार भी यह संयोग बना है। अष्टमी तिथि का प्रारम्भ 26 अगस्त 2024 को तड़के 03:39 बजे प्रारंभ होगी जो अगले दिन यानी 27 अगस्त 2024 को 02:19 एएम बजे समाप्त होगी।
2. रोहिणी नक्षत्र: रोहिणी दोपहर 03:55 से प्रारंभ होकर अगले दिन यानी 27 अगस्त को प्रात: दोपहर 03:38 पर समाप्त होगा।
3. जयंती योग : इस बार 26 अगस्त 2024 सोमवार को श्री अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के संयोग से कृष्ण जन्माष्टमी के दिन जयंती योग रहेगा।
4. सर्वार्थसिद्धि योग: सर्वार्थसिद्धि योग 26 अगस्त को दोपहर 03:55 से अगले दिन यानी 27 अगस्त को सुबह 05:57 तक रहेगा।
5. उच्च का चंद्र : भगवान श्रीकृष्ण का जन्म वृषभ राशि में चंद्रमा के उच्च के होने पर हुआ था। इस बार भी यही योग संयोग बना है।
6. गज केसरी योग : इस दिन वृषभ राशि में चंद्रमा की गुरु के साथ युति बनने से गज-केसरी नामक शुभ योग भी बना है।
7. शश राजयोग: इस दिन शनि के अपनी राशि में केंद्र में होने के कारण शश राजयोग भी बन रहा है। मंगल का मिथुन में गोचर होगा और बुध का कर्क में उदय होगा।