हर साल आषाढ़ शुक्ल त्रयोदशी के दिन एक विशेष व्रत किया जाता है जिसे जया-पार्वती व्रत अथवा विजया-पार्वती व्रत के नाम से जाना जाता है।
यह व्रत श्रावण माह शुरू होने से पहले आता है इसीलिए यह चमत्कारी व्रत माना गया है। शिव-पार्वती को प्रसन्न करने तथा उनकी कृपा पाने के लिए यह व्रत बहुत महत्वपूर्ण है। इस वर्ष यह व्रत 25 जुलाई 2018, बुधवार को मनाया जाएगा।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत का रहस्य भगवान विष्णु ने मां लक्ष्मी को बताया था। यह मालवा क्षेत्र का लोकप्रिय पर्व है और बहुत कुछ गणगौर, हरतालिका, मंगला गौरी और सौभाग्य सुंदरी व्रत की तरह है। इस व्रत से माता पार्वती को प्रसन्न किया जाता है।
पुराणों के अनुसार यह व्रत स्त्रियों द्वारा किया जाता है। माना जाता है कि यह व्रत करने से स्त्रियों को अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान प्राप्त होता है। कहीं इसे सिर्फ 1 दिन और कहीं इसे 5 दिन तक मनाया जाता है। बालू रेत का हाथी बनाकर उन पर 5 प्रकार के फल, फूल और प्रसाद चढ़ाए जाते हैं।
आइए जानें कैसे करें विजया-पार्वती व्रत का पूजन:-
* आषाढ़ शुक्ल त्रयोदशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें।
* तत्पश्चात व्रत का संकल्प करके माता पार्वती का स्मरण करें।
* घर के मंदिर में शिव-पार्वती की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
* फिर शिव-पार्वती को कुमकुम, शतपत्र, कस्तूरी, अष्टगंध और फूल चढ़ाकर पूजा करें।
* तत्पश्चात ऋतुफल तथा नारियल, अनार व अन्य सामग्री अर्पित करें।
* अब विधि-विधान से षोडशोपचार पूजन करें।
* माता पार्वती का स्मरण करके स्तुति करें।
* फिर मां पार्वती का ध्यान करके सुख-सौभाग्य और गृह शांति के लिए सच्चे मन से प्रार्थना करके अपने द्वारा हुई गलतियों की क्षमा मांगें।
* तत्पश्चात कथा श्रवण करें, कथा के बाद आरती करके पूजन को संपन्न करें।
* अब ब्राह्मण को भोजन करवाएं और इच्छानुसार दक्षिणा देकर उनके चरण छूकर आशीर्वाद लें।
* अगर बालू रेत का हाथी बनाया है तो रात्रि जागरण के पश्चात उसे नदी या जलाशय में विसर्जित करके व्रत को संपन्न करें।