राजयोग का नाम सुनते ही व्यक्ति का मन राजसी ठाट-बाट की परिकल्पना करने लगता है। लेकिन ज्योतिषीय मतानुसार राजयोग से आशय उच्चपद, प्रतिष्ठा, सर्वसुविधायुक्त जीवन एवं आत्मिक शान्ति व संतुष्टि होता है। राजयोग का व्यापक अर्थ केवल सांसारिक प्रगति ही नहीं अपितु आध्यात्मिक उन्नति होना भी है।
जानते उन राजयोगों के बारे में जो मनुष्य को जीवन में सुख, प्रसिद्धि,धन,उच्च पद,प्रतिष्ठा देते हैं। सुप्रसिद्ध राजयोगों जैसे विपरीत राजयोग, नीचभंग राजयोग, गजकेसरी राजयोग, पंचमहापुरूष राजयोग के बारे में तो सभी को विदित है किन्तु इनसे इतर भी कुछ महत्वपूर्ण राजयोग होते हैं जो इन राजयोग के समान ही फ़ल प्रदान करते हैं।
राजयोग किन ग्रहस्थितियों में बनते हैं-
1- जब तीन या तीन से अधिक ग्रह अपनी उच्च राशि या स्वराशि में होते हुए केंद्र में स्थित हों।
2- जब कोई ग्रह नीच राशि में स्थित होकर वक्री और शुभ स्थान में स्थित हो।
3- तीन या चार ग्रहों को दिग्बल प्राप्त हो।
4- चन्द्र केंद्र स्थित हो और गुरु की उस पर दृष्टि हो।
5- नवमेश व दशमेश का राशि परिवर्तन हो।
6- नवमेश नवम में व दशमेश दशम में हो।
7- नवमेश व दशमेश नवम में या दशम में हो।
-ज्योतिर्विद् पं. हेमंत रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केंद्र
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