हिन्दू नववर्ष पर कैसे करें पूजन, जानिए 12 काम की बातें...

Webdunia
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नवसंवत्सर का आरंभ होता है, इसी तिथि से पितामह ब्रह्मा ने सृष्टि निर्माण प्रारंभ किया था। धार्मिक शास्त्रों में यह अत्यंत पवित्र तिथि मानी गई है। आइए जानें गुड़ीपड़वा/ हिन्दू नववर्ष पर कैसे करें पूजन... 

* पढ़े पूजन संबंधी काम की बातें... 
 
* इस दिन प्रातः नित्य कर्म कर तेल का उबटन लगाकर स्नान आदि से शुद्ध एवं पवित्र होकर हाथ में गंध, अक्षत, पुष्प और जल लेकर देश काल के उच्चारण के साथ सुख समृद्धि प्राप्त होती है।
 
* ऐसा संकल्प कर नई बनी हुई चौरस चौकी या बालू की वेदी पर स्वच्छ श्वेतवस्त्र बिछाकर उस पर हल्दी या केसर से रंगे अक्षत से अष्टदल कमल बनाकर उस पर ब्रह्माजी की सुवर्णमूर्ति स्थापित करें।
 
* गणेशाम्बिका पूजन के पश्चात्‌ 'ॐ ब्रह्मणे नमः' मंत्र से ब्रह्माजी का आवाहनादि षोडशोपचार पूजन करें।
 
* पूजन के अनन्तर विघ्नों के नाश और वर्ष के कल्याण कारक तथा शुभ होने के लिए ब्रह्माजी से विनम्र प्रार्थना की जाती है-
 
'भगवंस्त्वत्प्रसादेन वर्ष क्षेममिहास्तु में। संवत्सरोपसर्गा मे विलयं यान्त्वशेषतः। '
 
* पूजन के पश्चात विविध प्रकार के उत्तम और सात्विक पदार्थों से ब्राह्माणों को भोजन कराने के बाद ही स्वयं भोजन करना चाहिए।
 
* इस दिन पचांग श्रवण किया जाता है।
 
* नवीन पचांग से उस वर्ष के राजा, मंत्री, सेनाध्यक्ष आदि का तथा वर्ष का फल श्रवण करना चाहिए।
 
* सामर्थ्यान सार पचांग दान करना चाहिए तथा प्याऊ की स्थापना करनी चाहिए।
 
* इस दिन नया वस्त्र धारण करना चाहिए तथा घर को ध्वज, पताका, बंधनवार आदि से सजाना चाहिए।
 
* गुड़ी पड़वा दिन निम्ब के कोमल पत्तों, पुष्पों का चूर्ण बनाकर उसमें काली मिर्च, नमक, हींग, जीरा, मिस्री और अजवाइन डालकर खाना चाहिए। इससे रुधिर विकार नहीं होता और आयोग्य की प्राप्ति होती है।
 
* इस दिन नवरात्रि के लिए घटस्थापना और तिलक व्रत भी किया जाता है। इस व्रत में यथासंभव नदी, सरोवर अथवा घर पर स्नान करके संवत्सर की मूर्ति बनाकर उसका 'चैत्राय नमः', 'वसन्ताय नमः' आदि नाम मंत्रों से पूजन करना चाहिए। इसके बाद पूजन अर्चन करना चाहिए।
 
* विद्वानों तथा कलश स्थापना कर शक्ति आराधना का क्रम प्रारंभ कर नवमी को व्रत का पारायण कर शुभ कामनाओं का फल प्राप्ति हेतु मां जगदम्बा से प्रार्थना करनी चाहिए।

युगों में प्रथम सत्ययुग का प्रारंभ भी इस तिथि को हुआ था। यह तिथि ऐतिहासिक महत्व की भी है, इसी दिन सम्राट चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने शकां पर विजय प्राप्त की थी और उसे चिरस्थायी बनाने के लिए विक्रम संवत का प्रारंभ किया था।
 
ALSO READ: नववर्ष का राजा सूर्य व मंत्री होंगे शनि, छाएगी चारों ओर खुशहाली...
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

ज़रूर पढ़ें

Kanya sankranti 2024: कन्या संक्रांति कब है, क्या है इसका महत्व, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त

Shani gochar 2025: शनि के कुंभ राशि से निकलते ही इन 4 राशियों को परेशानियों से मिलेगा छुटकारा

Shukra Gochar : शुक्र गोचर से बना मालव्‍य योग, छप्‍पर फाड़कर मिलेगा 3 राशियों को धन

Surya in kanya : 16 सितंबर को सूर्य के कन्या राशि में जाने से 4 राशियों के बुरे दिन होंगे शुरू

Sarva Pitru Amavasya 2024: सर्वपितृ अमावस्या के दिन विदा होते हैं पितर, जानें डेट व तर्पण के लिए कुतुप मुहूर्त

सभी देखें

नवीनतम

क्या गया जी श्राद्ध से होती है मोक्ष की प्राप्ति !

Lakshmi : घर में लक्ष्मी के नहीं रुकने के 5 खास कारण

Ganesh utsav 2024: गणेश उत्सव के 10वें दिन के अचूक उपाय और पूजा का शुभ मुहूर्त

Tulsi Basil : यदि घर में उग जाए तुलसी का पौधा अपने आप तो जानिए क्या होगा शुभ

Aaj Ka Rashifal: 14 सितंबर का दैनिक राशिफल: क्या लाया है आज का दिन खास आपके लिए, पढ़ें 12 राशियां

अगला लेख
More