हरियाली के आगमन के रूप में हरियाली अमावस्या पर्व को मनाते हैं। इस दिन किसान आने वाले वर्ष में कृषि कैसी होगी इनका अनुमान लगाते हैं, शगुन करते हैं। हरियाली को समर्पित यह त्योहार इस वर्ष 23 जुलाई 2017 रविवार को है। इस दिन वृक्षारोपण का कार्य विशेष रूप से किया जाता है।
वर्षो पुरानी परंपरा के निर्वहन के रूप में हरियाली अमावस्या के दिन एक नया पौधा लगाना शुभ माना जाता है।
हरियाली अमावस्या के दिन सभी लोग वृक्ष पूजा करने की प्रथा के अनुसार पीपल और तुलसी के पेड़ की पूजा करते हैं। हमारे धार्मिक ग्रंथों में पर्वत और पेड़-पौधों में भी ईश्वर का वास बताया गया है। पीपल में त्रिदेवों का वास माना गया है।
आंवले के वृक्ष में भगवान श्री लक्ष्मीनारायण का वास माना जाता हैं.
अमावस्या के दिन कई शहरों में हरियाली अमावस्या के मेलों का भी आयोजन किया जाता है। इस कृषि उत्सव को सभी समुदायों के लोग आपस में मिलकर मनाते हैं। एक-दूसरे को गुड़ और धानी की प्रसाद देकर मानसून ऋतु की शुभकामना देते हैं।
इस दिन अपने हल और कृषि यंत्रो का पूजन करने का रिवाज है।
इस पर्व के ठीक तीन दिन बाद हरियाली तीज का पर्व भी आता हैं।
इस तिथि को अपने पितरों की आत्मा को शांति के लिए हवन पूजा पाठ दान दक्षिणा देने का विशेष महत्व है।
हर अमावस्या में सावन महीने की हरियाली अमावस्या का अपना खास महत्व है।