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कुंडली में चांडाल योग क्या है और कैसा है इसका असर? जानिए 5 अचूक उपाय

हमें फॉलो करें कुंडली में चांडाल योग क्या है और कैसा है इसका असर? जानिए 5 अचूक उपाय

अनिरुद्ध जोशी

, बुधवार, 20 नवंबर 2019 (16:09 IST)
ज्योतिष के अनुसार कुंडली में चांडाल योग को शुभ नहीं माना गया है। कहते हैं कि जिस भी जातक की कुंडली में यह योग होता है, उसके जीवन में उथल-पुथल बनी रहती है। ऐसा जातक जिंदगी में कभी स्थिर नहीं रह पाता है। लेकिन यदि आपकी कुंडली में यह योग है तो इससे घबराने की जरूरत नहीं। पहले जान लें कि यह योग क्या होता है और इसका असर क्या है?
 
 
1.चांडाल योग कैसे बनता है : कुंडली के किसी भी भाव में बृहस्पति के साथ राहु बैठा है तो इसे गुरु चांडाल योग कहते हैं। कुछ ज्योतिष मानते हैं कि यदि गुरु की राहु पर या राहु की गुरु पर दृष्टि है तो भी चांडाल योग बनता है, लेकिन यह सही नहीं है। यह भी कहा जाता है कि राहु जिस भी ग्रह से साथ बैठता है, तो उस ग्रह को ग्रहण लग जाता है। सूर्य के साथ सूर्य चांडाल योग और मंगल के साथ मंगल चांडाल योग माना जाता है, लेकिन सबसे अधिक घातक गुरु और राहु की युति को ही माना जाता है।

 
2.इस योग का असर क्या है : इस योग का बुरा असर शिक्षा, धन और चरित्र पर होता है। जातक बड़े-बुजुर्गों का निरादर करता है और उसे पेट एवं श्वास के रोग हो सकते हैं। कहते हैं कि मेष, वृषभ, सिंह, कन्या, वृश्चिक, कुंभ व मीन राशि के लोगों पर गुरु-चांडाल योग का प्रभाव अधिक पड़ता है।

 
नोट : इसके असर में डिग्री और राशि खासकर देखी जाती है। यदि गुरु का डिग्री (अंश) यानी पॉवर ज्यादा है तो यह चांडाल योग कमजोर होगा। यदि चांडाल योग गुरु की राशि में है तो भी यह कम असर वाला होगा। खासकर गुरु और राहु के अंश देखकर ही चांडाल योग के असर को परखा जाता है।
 
 
3.कुंडली के केंद्र के चांडाल योग का असर :-
 
यह योग जिस भी भाव या राशि में लगता है, तो वह उस स्थान के शुभ प्रभाव को तो समाप्त करता ही है, साथ ही जहां भी उसकी दृष्टि होती है उसके प्रभाव को भी समाप्त कर देता है। यहां प्रस्तुत हैं केंद्र के भावों के परिणाम।
 
1. यदि प्रथम भाव या लग्न में गुरु राहु की युति अर्थात चांडाल योग है, तो ऐसा जातक चरित्र का ढीला होता है। उस पर लांछन लगता है। उसका वाद-विवाद होता रहता है।
 
2. यदि चतुर्थ भाव में यह योग बन रहा है तो भूमि, भवन, परिवार, मित्र और जन्म स्थान का सुख नहीं मिल पाता है।
 
3. यदि सप्तम भाव में है तो जातक को पत्नी सुख नहीं मिलता है।
 
4. यदि दशम भाव में है तो जातक को नौकरी और व्यापार में असफलता ही हाथ लगती है।
 
 
4.चांडाल योग के 5 उपाय:-
1. माथे पर नित्य केसर, हल्दी या चंदन का तिलक लगाएं।
 
2. सुबह तालाब जाकर मछलियों को काला साबुत मूंग या उड़द खिलाएं।
 
3. प्रति गुरुवार को पूर्ण व्रत रखें। रात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
 
4. उत्तम चरित्र रखकर पीली वस्तुओं का दान करें और पीले वस्त्र ही पहनें।
 
5. गुरुवार को पड़ने वाले राहु के नक्षत्र में रात्रि में बृहस्पति और राहु के मंत्र का जाप करना चाहिए या शांति करवाएं। राहु के नक्षत्र हैं आर्द्रा, स्वाति और शतभिषा।

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