हमारे ऋषि-मुनियों ने ऐसे अक्षरों के समूह वाले श्लोकों की रचना की है जिसमें अमोघ शक्ति है। जिसके प्रमाण आस्तिकजन समय-समय पर पाते रहते हैं। मंत्रों की विधि व उच्चारण से सभी प्रकार की कामनाओं की पूर्ति सहज ही हो जाती है। किसी की सामग्री की चोरी होना कई बार बहुत बड़ी समस्या बन जाती है एवं इस कार्य को करने की प्रवृत्ति अत्यंत निंदित दुष्कर्म है।
सुरक्षा के उपाय, दंड के विधान एवं सभी प्रकार की सतर्कता के बावजूद इस घटना का शिकार कोई भी कभी भी हो सकता है। इससे बचने के लिए सावधानी तो आवश्यक है ही लेकिन उसके साथ ही शयन के पूर्व व्यक्ति पांच मंत्रों का उच्चारण करें।
1. मंत्र -
जलेरक्षतु नन्दीश: स्थले रक्षतु भैरव:।
अत्व्यां वीरभद्रश्च सर्वत: पातु: शंकर:।।1।।
2. मंत्र -
जलेरक्षतु वाराह: स्थले रक्षतुं वामन:।
अत्व्यां नारसिंहश्च सर्वत: पातु: केशव:।।2।।
3 . मंत्र -
अर्जुन फाल्गुनो जिष्णु: किरीटी श्वेतवाहन:।
बीभत्सुर्विजय कृष्ण: सव्यसाची धनंजय:।।3।।
4. मंत्र -
तिस्त्रो भार्या: कफल्लस्य दाहिनी मोहिनी सती।
तासां स्मरणमात्रेण चोरो गच्छति निष्फल:।।4।।
5. मंत्र -
कफल्लक: कफल्लक: कफल्लक:।
इति पठित्वा शयनं कार्यं तेन चोरो निष्फलो गच्छेत।।5।।