किस ग्रह की महादशा कितने दिन चलती है? किस महादशा का क्या फल होता है?

Webdunia
बुधवार, 9 नवंबर 2022 (19:31 IST)
Astrology: भारतीय वैदिक ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की दशा, महादशा, अंतरदशा और प्रत्यांतर दशा के बारे में बताया गया है। इससे ग्रह के गोचर भी पता चलते हैं। आखिर यह महादशा क्या होती है और किस ग्रह की महादशा कितने समय तक चलती है। इसी के साथ महादशा का फल क्या होता है। आओ जानते हैं संक्षिप्त में।
 
क्या होती है महादशा | kya hoti hai mahadasha : महादशा शब्द का अर्थ है वह विशेष समय जिसमें कोई ग्रह अपनी प्रबलतम अवस्था में होता है और कुंडली में अपनी स्थिति के अनुसार शुभ-अशुभ फल देता है। 
 
ग्रहों की राशियां | graho ki rashiya: 9 ग्रहों की अपनी अपनी राशियां हैं। 12 राशियों में से सूर्य और चन्द्र के पास एक-एक राशि का स्वामित्व है, अन्य ग्रहों के पास दो-दो राशियों का स्वामित्व है। सूर्य की सिंह, चंद्र की कर्क, मंगल की मेष और वृश्‍चिक, बुध की मिथुन और कन्या, बृहस्पति की धनु और मीन, शुक्र की वृषभ और तुला एवं अंत में शनि की मकर और कुंभ।
 
विंशोत्तरी गणना | vimshottari dasha: विंशोत्तरी गणना के अनुसार ज्योतिष में आदमी की कुल उम्र 120 वर्ष की मानी गई है और इन 120 वर्षों में आदमी के जीवन में सभी ग्रहों की महादशा पूर्ण हो जाती हैं।
 
ग्रहों की महादशा का समय | g‍raho ki mahadasha ka samay:
 
सूर्य- 6 वर्ष
चन्द्र-10 वर्ष
मंगल- 7 वर्ष
राहू- 18 वर्ष
गुरु- 16 वर्ष
शनि- 19 वर्ष
बुध- 17वर्ष
केतु- 7 वर्ष
शुक्र- 20 वर्ष
महादशा में अन्य ग्रहों का भ्रमण काल : उपरोक्त वर्षों में मुख्य ग्रहों की महादशा में अंतर्गत अन्य ग्रहों का भी भ्रमण का समय रहता है जिससे अन्तर्दशा कहा जाता है। ऐसे में महादशश के मुख्य ग्रह के साथ ही अंतर्दशा के के ग्रहण का फल भी प्रभावी होती है। जिस ग्रह की महादशा होगी, उसमें उसी ग्रह की अन्तर्दशा पहले आएगी, फिर ऊपर दिए गए क्रम से अन्य ग्रह भ्रमण करेंगे। अधिक सूक्ष्म गणना के लिए अन्तर्दशा में उन्ही ग्रहों की प्रत्यंतर दशा भी निकली जाती है, जो इसी क्रम से चलती है। इससे अच्छी-बुरी घटनाओं के ठीक समय का आकलन किया जा सकता है। ग्रहों की अन्तर्दशा का समय पंचांग से निकाला जाता है।
 
ग्रह दशा का फल । graho ki mahadasha ka fal:
- सामान्य रूप से 6, 8,12 स्थान में गए ग्रहों की दशा अच्छी नहीं होती। 
- इसी तरह इन भावों के स्वामी की दशा भी कष्ट देती है।
- किसी ग्रह की महादशा में उसके शत्रु ग्रह की, पाप ग्रह की और नीचस्थ ग्रह की अन्तर्दशा अशुभ होती है। 
- शुभ ग्रह में शुभ ग्रह की अन्तर्दशा अच्छा फल देती है।
- जो ग्रह 1, 4, 5, 7, 9 वें भावों में गए हो उनकी दशा अच्छा फल देती है। 
- स्वग्रही, मूल त्रिकोणी या उच्च के ग्रह की दशा शुभ होती है, नीच, पाप प्रभावी या अस्त ग्रह की दशा भाव फल का नाश करती है। 
- शनि, राहू आदि ग्रह अपनी दशा की बजाय मित्र ग्रहों की दशा में अधिक अच्छा फल देते हैं।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

ज़रूर पढ़ें

Shardiya navratri 2024: शारदीय नवरात्रि में गरबा उत्सव के दौरान क्या करें और क्या नहीं

Surya kanya Gochar : सूर्य का कन्या राशि में गोचर से 4 राशियों के चमक जाएंगे भाग्य, होगा अचानक से धनलाभ

16 shradh paksha 2024: पितृ पक्ष का दूसरा दिन : श्राद्ध पक्ष में प्रतिपदा के श्राद्ध का महत्व, जानिए किसका करते हैं श्राद्ध

16 shradh paksha 2024: अकाल मृत्यु जो मर गए हैं उनका श्राद्ध कब और कैसे करें?

Shardiya navratri 2024 ashtami date: शारदीय नवरात्रि की अष्टमी कब है, जानें शुभ मुहूर्त

सभी देखें

नवीनतम

Sarvapitri amavasya 2024: सर्वपितृ अमावस्या की 10 अनसुनी बातों को जानकर आप सोच में पड़ जाएंगे

Ketu Gochar : पापी ग्रह केतु के नक्षत्र में होगा गुरु का प्रवेश, 3 राशियों की चमकने वाली है किस्‍मत

Aaj Ka Rashifal: 20 सितंबर 2024, कैसा बीतेगा आज आपका दिन, पढ़ें अपना दैनिक राशिफल

Shardiya navratri 2024: शारदीय नवरात्रि प्रतिपदा के दिन जानिए घट स्थापना का शुभ मुहूर्त

20 सितंबर 2024 : आपका जन्मदिन

अगला लेख
More