चंद्र घात विचार वैसे तो बहुत विस्तृत विषय है परंतु यहां पर आप संक्षिप्त में जान लें। पहले के समय में जन्म पत्रिका या कुंडली बनाते समय में घात चक्र का विवरण या सारणी भी दी जाती थी, परंतु आजकल नहीं दी जाती है। हालांकि इसको अब कोई महत्व भी नहीं देता है।
1. किस राशि के लिए कौन नक्षत्र, मास, तिथि, वार, प्रहर चन्द्र आपके लिए शुभ है या अशुभ है यह जानना ही चंद्र घात के अंतर्गत आता है।
2. किसी राशि विशेष के लिए एक ही दिन तीन से ज्यादा घात मिले तो उस दिन सावधानी बरतनी चाहिए।
3. इन सब प्राचीन घात सूत्रों को ध्यान में रखने से घटना को कुछ हद तक टाला जा सकता है या उस घटना की भयावता को कम किया जा सकता है।
4. सिंह राशि के लिए तृतीया तिथि एवं उस दिन शनिवार विशेष घातक माना गया है।
5. जीवन में जन्म से तृतीय, पंचम, सप्तम दशाएं कष्टकारक होती है। उसे ध्यान में रखकर ही कोई कार्य करें।
6. मेष की पहली, वृष की पांचवीं, मिथुन की नौवीं, कर्क की दूसरी, सिंह की छठी, कन्या की दसवीं, तुला की तीसरी, वृश्चिक की सातवीं, धनु की चौथी, मकर की आठवीं, कुम्भ की ग्यारहवीं, मीन की बारहवीं घड़ी घात चन्द्र मानी जाती है।
7. कहते हैं कि चंद्र घात में यात्रा करने पर, युद्ध में जाने पर, कोर्ट कचहरी में जाने पर, खेती कार्य आरंभ करने पर, व्यापार शुरू करने पर, घर की नींव लगाने पर घात चन्द्र वर्जित मानी गई है।
8. घात चन्द्र में रोग होने पर मौत, कोर्ट में केस दायर करने पर हार और यात्रा करने पर सजा या झूठा आरोप और विवाह करने पर वैधव्य होने की शंका व्यक्त की जाती है।
9. मेषादि द्वादश राशियों के लिए क्रमश: 1, 5, 9, 2, 6, 10, 3, 7, 4, 8, 11, 12 घात चन्द्र दोष होता है। जैसे मेष राशि वालों के लिए मेष का, वृषभ राशि वालों के लिए वृषभ से पंचम कन्या का शेष इसी प्रकार घात चन्द्रमा होता है।
10. मेषादि राशियों के लिए क्रमश: कृत्तिका, चित्रा, शतभीषा, मघा, धनिष्ठा, आर्दा, मूल, रोहिणी, पूर्वाभाद्रपदा, मघा, मूल और पूर्वाभाद्रपदा नक्षत्रों के क्रमश: 1-2-3-3-1-3-2-4-3-4-4 और 4 चरण नक्षत्र घात चरण होते हैं। राज सेवा, युद्ध और विवाद में घात चन्द्रमा वर्जित है।
नोट : आप अपनी कुंडली और राशि किसी ज्योतिष को दिखाकर इस घात चंद्र को समझकर इससे बच सकते हैं।