वैज्ञानिक कहते हैं कि करीब बीस करोड़ साल पहले धरती पर पहला फूल उगा होगा। वर्तमान में फूलों की लगभग साढ़े तीन लाख किस्में हैं जिसे इंसान जानता है। ज्यादा भी हो सकती है। आज फूलों के इतने रंग और रूप है कि इंसान कल्पना भी नहीं कर सकता है। फूल को संस्कृत में पुष्प और अंग्रेजी में फ्लावर कहते हैं।
क्यों होते हैं फूल : वैज्ञानिकों के अनुसार फूल का उद्देश्य किसी पौधे की नई पीढ़ी को पैदा करना होता है। इसके लिए वे कीड़े, मकोड़े, तितली या फिर चमगादड़ों को आकर्षित करते हैं ताकि वे आएं और उनके जरिए परागगण हो। यानी नर और मादा कणों का मेल होता है। बाद में जिनके विकास से फूल से फल और फल से बीज निकलते हैं। धरती पर फूल है तो सुंदरता, खुशबू और खुशहाली है।
फूलों का उपयोग : यूरोप में अठारहवीं सदी से फूलों का उपयोग बहुत ज्यादा बढ़ा। जैसे-जैसे शहरों में आबादी बढ़ती गई। वैसे-वैसे हर मौके को खूबसूरत बनाने के लिए फूलों की जरूरत बढ़ती गई। हालांकि इससे पहले यूरोप में फूलों का प्रचलन था लेकिन उतना नहीं जितना की मध्यकाल और फिर आधुनिककाल में देखने को मिलता है। हालांकि एशिया की तमाम सभ्यताओं में फूलों के उपयोग का प्रचलन रहा है। उसमें भी खासकर वे इलाके जहां जंगल और पहाड़ ज्यादा रहे हैं। एशिया में भी भारतीय उपमहाद्वीप में फूलों के उपयोग का खास प्रचलन रहा है।
चर्च, मस्जिद या सिनेगॉग में कभी फूलों की माला ले जाने का प्रचलन या परंपरा नहीं रहा लेकिन मंदिरों में फूल अर्पित करने की परंपरा बहुत पुरानी है। देवी या देवताओं को फूल माला अर्पित करने का प्रचलन भारतीय सभ्यता में ही रहा है जो कि अभी तक बरकरार है। जब मध्यकाल में अखंड भारत की भूमि पर सूफी संतों की दरगाह का निर्माण होने लगा तब मंदिरों के कारण ही वहां पर भी मजारों पर फूल या फूलों की माला अर्पित करने का प्रचलन चला।
प्राचीन काल से ही भारत में फूलों को पूजा में अर्पित करने के अलावा, सजा-सजावट और श्रृंगार में भी उपयोग किया जाने लागा। महिलाएं अपने बालों में फूलों की वेणी बनाकर लगाती है। भारत में किसी भी विवाह आदि मंगल या मांगलिक कार्य में फूलों से घर, दुकान या मंडप, यज्ञ मंडप आदि को सजाने का प्रचलन भी प्राचीन काल से ही रहा है। शव यात्रा में फूलों का उपयोग भी बहुत काल से प्रचलन में रहा है। प्रभु श्रीराम के अयोध्या आगमन के समय उनका पुष्प वर्षा और दीप जलाकर स्वागत किया गया था। है। किसी वरिष्ठ अतिथि का नगरागमन या राज अधिकारियों आदि का फूल की मालाओं से स्वागत करने का प्रचलन आज भी है।
पुष्प से ही क्यों स्वागत?
फूल या पुष्प का सुगंधित और सकारात्मक होना ही इसका महत्वपूर्ण कारण है ऐसा नहीं है। फूल कई मायनों में महत्वपूर्ण है। फूल इंसान की श्रद्धा और भावना का प्रतीक हैं। धार्मिक मान्यताओं में फूलों का प्रयोग पूजा और उपासना के लिए किया जाता है। मान्यता है कि इससे ईश्वर की कृपा बहुत जल्दी बरसती है। हिंदू धर्मग्रंथों में पुष्प के बारे में बताया गया है कि पुण्य को बढ़ाने, पापों को घटाने और फल को देने के कारण ही इसे पुष्प या फूल कहा जाता है।
पुण्य संवर्धनाच्चापी पापौघपरिहारत।
पुष्कलार्थप्रदानार्थ पुष्पमित्यभिधीयते।।
भारतीय लोग फूल माला से स्वागत करने के लिए पुरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं। यहां जब भी कोई विदेशी अतिथि आता है तो हम उसका फूल की मालाओं से स्वागत करते हैं। उससे पुष्पगुच्छ देते हैं। भारतीयों को देखकर ही विदेशों में गुलदस्ता देने का प्रचलन चला। भारतीय विवाह में वरमाला नामक एक रस्म होती है जिसमें वर और वधु एक दूसरे को फूल की माला पहनाते हैं। फूलों से किसी का स्वागत करना उसके मान-सम्मान और व्यक्ति की आर्थिक क्षमता का प्रदर्शन करना होता हैं। इससे दोनों ही पक्ष सम्मानित होते हैं। फूल प्रकृति का सर्वोत्तम उपहार है।
वास्तुशास्त्र में महत्व : वास्तुशास्त्र के अनुसार घर में बगीचा होना अनिवार्य बताया गया है। फूल सुगंध और सौंदर्य के प्रतीक हैं। घर के आगे गुड़हल, चांदनी, मीठा नीम, रातरानी, पारिजाद, मोगरा, वैजयंती, जूही, चंपा, चमेली, आदि सुगंधित फूल लगाने से हर तरह के वास्तु दोष दूर हो जाते हैं और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने एवं खुशहाली में सहयोग मिलता ह।
ज्योतिष में महत्व : फूल बहुत ही शुभ और पवित्र होते हैं। ज्योतिष के जानकारों की मानें तो सुंदरता और सुगंध से भरपूर फूलों के उपयोग से आपकी हर मनोकामना पूरी हो सकती है। जिस घर में फूल होते हैं, नकारात्मक ऊर्जा वहां के इर्द-गिर्द भी नहीं भटक पाती है। फूलों के इस्तेमाल से आप अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ा सकते हैं। इसीलिए घर के आस-पास फुलवारी की परंपरा सदियों से चली आ रही है।