* कौए के इन शुभ-अशुभ संकेतों से टल जाती है घर आई विपत्ति...
* जानिए कैसे देता है कौआ शुभ-अशुभ के संकेत...
निरंतर कांव-कांव बोलने वाला कौआ एक छोटा पक्षी है, जिसे दुष्ट समझा जाता है। यह छोटे-छोटे जीव एवं अन्य अनेक प्रकार की गंदगी खाकर जीवन यापन करता है। अन्य पक्षियों की तुलना में इसे तुच्छ समझा जाता है, लेकिन इस बात से सभी अनजान होंगे कि मरने के पश्चात कौए का शरीर औषधि के लिए प्रयुक्त होता है।
किंतु श्राद्ध पक्ष में कौवों को भक्ति और विनम्रता से यथाशक्ति भोजन कराने की बात विष्णु पुराण में कही गई है। कौए को पितरों का प्रतीक मानकर श्राद्ध पक्ष के पंद्रह-सोलह दिनों तक भोजन कराया जाता है। भादौ महीने के 16 दिन कौवा हर घर की छत का मेहमान बनता है। ये 16 दिन श्राद्ध पक्ष के दिन माने जाते हैं। कौवा एवं पीपल को पितृ प्रतीक माना जाता है। इन दिनों कौए को खाना एवं पीपल को पानी पिलाकर पितरों को तृप्त किया जाता है।
हमारे पुराने जमाने से एक परंपरा चली आ रही है कि यदि किसी के सिर पर कौआ बैठ जाए तो वह अपने रिश्तेदार को झूठा पत्र लिखता है कि उसकी मृत्यु हो गई है। इस प्रकार की खबर सुनकर परिजन शोक करते है। उसी दिन दूसरा पत्र मिलता है कि वह खबर निराधार है, कौआ सिर पर बैठने से ऐसी खबर दी गई थी। कहते हैं कि इस प्रकार की खबर उड़ाने से उस पर आई विपत्ति टल जाती है।
कौआ जब घर की छत पर आवाज करता है, तब कहते है कि घर में कोई मेहमान आएगा। यह बात अक्सर सच भी साबित होती है। कौए के संबंध में इस तरह के कईं शुभ-अशुभ के संकेत हैं, जो यहां पाठकों के लिए प्रस्तुत है...
कौए शुभ-अशुभ के संकेत, जानिए :-
* कौए की चोंच में फूल-पत्ती हो तो मनोरथ की सिद्धि होती है।
* यदि गाय की पीठ पर बैठकर अपनी चोंच रगड़ता हुआ दिखे तो उसे उत्तम भोजन की प्राप्ति होती है।
* सूखा तिनका अपनी चोंच में लिए दिखे तो धन लाभ होता है।
* कौआ अनाज के ढेर पर बैठा मिले, तो धान्य लाभ होता है और गाय के सिर पर बैठा मिले तो प्रियजन से भेट-वार्ता होती है।
* ऊंट की पीठ पर बैठा मिले तो यात्रा कुशल होती है।
* यदि सूअर की पीठ पर कौआ बैठा दिखाई दें, तो विपुल धन की प्राप्ति होती है।
* यदि कौआ धूल में लोटपोट होता दिखाई दें, तो उस स्थान में वर्षा होती है।
* कौए के अंडों की संख्या से भी शुभाशुभ की भविष्यवाणी की जा सकती है।
* यदि कौआ (मादा) एक ही अंडा दें, तो इसे कारूण कहा जाता है। इससे अच्छी वर्षा व अच्छी पैदावार के संकेत समझना चाहिए। इससे प्रजा में प्रसन्नता रहती है।
* यदि दो अंडे दें, तो इसे अग्नि कहा जाता है। ऐसी स्थिति में अल्प वर्षा होती है। खेतों में डाला गया बीज अंकुरित नहीं होता, प्रजा भी दुखी होती है।
* तीन अंडों को वायु कहा जाता है। यह भी शुभ संकेत नहीं माना जाता। फसल को पशु-पक्षी नष्ट कर देते हैं।
* कौआ यदि चार अंडे दें, तो इसे इंद्र कहा जाता है। इसे अत्यंत शुभ माना गया है। यात्राओं में विचार, यात्रा करने से पहले कौंवों को दही-चावल का भोग लगाने से यात्रा सफल होती है।
* यदि कौआ बाईं तरफ से आकर भोग का ग्रहण करता है तो यात्रा निर्विघ्न संपन्न होती है।
* यदि कौआ पीठ पीछे से आता है, तो प्रवासी को लाभ होता है।
* दाईं तरफ से उड़कर बाईं तरफ आ जाए और भोग ग्रहण करें तो यात्रा में सफलता मिलती है। अन्यथा विपरीत फल मिलता है।
* यदि कौआ सामने से आकर भोग ग्रहण करें और पैर से सिर खुजलाएं तो कार्य सिद्ध होता है।
* यदि भोग ग्रहण कर उड़ कर कुएं की पाल पर जा बैठे, नदी तट पर जा बैठे या जलपूर्ण घट पर बैठ जाए तो खोई वस्तु मिलती है। मुकदमे में जीत होती है एवं धन-धान्य में भी वृद्धि होती है।
* अगर हवेली अथवा अटारी पर या हरे-भरे वृक्ष पर जा बैठे तो अकस्मात धन लाभ मिलता है।
* यदि कौआ अपनी चौंच में फल, रोटी या मांस का टुकड़ा दबाए दिखाई दें, तो अभिष्ट कार्य की सफलता होती है।