शाम के समय वर्जित हैं कुछ खास काम, जानिए कारण
हमने अक्सर घर में बुजुर्गों को यह कहते सुना है कि संध्या के वक्त यह काम ना करें, वह काम ना करें... लेकिन ऐसा क्यों है आइए जानें...
वास्तव में सूर्यास्त होते ही नकारात्मक शक्तियां हावी हो जाती हैं। उनके दुष्प्रभाव को शांत करने के लिए या उन शक्तियों को क्षीण करने के लिए सुबह की भांति शाम को भी देवी-देवताओं की आराधना करनी चाहिए। जिससे सकारात्मकता का माहौल बना रहे। कुछ ऐसे काम हैं जो शाम को करने की पुराणों में मनाही हैं, जो व्यक्ति इन बातों को नहीं मानते, उन्हें न केवल इस जन्म में बल्कि परलोक में भी दुख भोगना पड़ता है।
आइए जानें कौन से हैं वे काम-
* संध्या के समय झाड़ू न लगाएं इससे सकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और नकारात्मकता बलवान होती है।
* शाम को तुलसी पर जल ना चढ़ाएं। तुलसी पर सूर्योदय होने पर जल चढ़ाएं, शाम केवल दीप अर्पित करें।
* ठाकुर जी के भोग में अर्पित करने के लिए तुलसी पत्र सूर्योदय के समय ही तोड़े जा सकते हैं। सूर्यास्त उपरांत तुलसी को स्पर्श नहीं करना चाहिए। संध्या के समय तुलसी का स्पर्श करना भी संचित पुण्यों को पाप में परिवर्तित कर देता है।
* सूरज ढलने के तत्काल बाद सोना नहीं चाहिए केवल बीमार, वृद्ध और गर्भवती महिलाएं ही दिन में या शाम को सो सकते हैं। शाम के समय देवी-देवता पृथ्वी का भ्रमण करते हैं। जिन घरों में शाम के समय पूजा-पाठ हो रहा होता है, उन घरों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है और जिस घर के लोग सोए होते हैं उस घर में बरकत नहीं होती।
* जो व्यक्ति शाम के समय सोता है उसे कई प्रकार के रोग घेर लेते हैं। ऐसे व्यक्ति की आयु क्षीण हो जाती है।
विशेष : महिलाओं को बायां और पुरुषों को दायां करवट लेकर सोना चाहिए। सोते समय सिर दक्षिण दिशा में और पैर उत्तर दिशा में होने चाहिए। पैर पर पैर रख कर सोने से आयु कम होती है।