* मंत्र जाप कहां व कैसे करें?
हमारे सनातन धर्म में मंत्र जाप का बहुत महत्व है। मानसकार ने तो डिमडिम घोष किया है- 'मंत्र महामनि विषय व्याल के, मेटत कठिन कुअंक भाल के।।' अर्थात मंत्र उस मणि के समान हैं, जो मनुष्य की किस्मत के बुरे लेख को मिटाने का सामर्थ्य रखते हैं। ज्योतिष शास्त्र में भी मंत्र जाप का महत्वपूर्ण स्थान है।
अनिष्ट ग्रहों की शांति हेतु ग्रहों का समुचित विधि-विधान से किया गया मंत्र जाप अनिष्ट ग्रहों के अशुभ फल के प्रभाव को कम करने में सहायक होता है। ग्रहशांति हेतु मंत्र जाप करने की एक विशेष मर्यादा शास्त्रों में वर्णित है जिसका अनुपालन किया जाना आवश्यक है।
शास्त्रानुसार यदि उचित स्थान, उचित समय, उचित संख्या व उचित रीति से मंत्र जाप किया जाता है तब वह पूर्णरूपेण लाभदायक होता है। आइए, जानते हैं कि मंत्र जाप पूर्णरूपेण कब लाभदायक होता है?
1. मंत्र जाप सदैव उपांशु (धीरे बोलकर जिसे कि अन्य व्यक्ति न सुन सकें) या मानसिक रीति से करना चाहिए।
2. मंत्र जाप सदैव कुश या कंबल के आसन पर बैठकर ही करें।
3. मंत्र जाप हेतु जपमाला को गोमुखी या किसी शुद्ध वस्त्र से ढंककर माला फेरना चाहिए।
4. जपमाला को सदैव अनामिका अंगुली पर रखकर मध्यमा अंगुली से फेरना चाहिए, तर्जनी का स्पर्श नहीं करना चाहिए।
5. मंत्र जाप करते समय जप माला के सुमेरू का उल्लंघन नहीं करना चाहिए।
6. मंत्र जाप करते समय बीच में उठना व बोलना नहीं चाहिए।
7. जप समाप्ति पर जप-स्थान की भूमि को मस्तक से स्पर्श करना चाहिए।
8. यदि किसी कारणवश जप के बीच में उठना या बोलना पड़े, तो पुन: माला प्रारंभ करनी चाहिए।
जप कहां करें?
मंत्र जाप करने के लिए शास्त्रों में स्थानों की श्रेष्ठता का वर्णन किया गया है। घर में किए गए मंत्र जाप सबसे कम फलदायक होते हैं जबकि गौशाला, तीर्थस्थान, पर्वत एवं पवित्र नदी के तट पर किए गए जाप क्रमश: उत्तरोत्तर अधिक फलदायी होते हैं किंतु मंदिर में किए गए जाप सर्वाधिक फलदायक होते हैं। मंदिर में किए गए जप का अनंत गुना फल प्राप्त होता है।
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केंद्र
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