20 सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा व्रत : जानिए पूजन विधि, महत्व, मुहूर्त एवं कथा

Webdunia
हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष में भाद्रपद पूर्णिमा व्रत किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान सत्यनारायण का पूजन किया जाता है। इस व्रत में भगवान विष्णु के सत्यनारायण रूप की पूजा की जाती है।
 
महत्व- नारदपुराण के अनुसार सत्यनारायण पूजन के साथ ही इस दिन उमा-महेश्वर व्रत भाद्रपद पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। यह व्रत खास तौर से महिलाएं रखती है। यह व्रत संतान बुद्धिमान होती है और यह व्रत सौभाग्य देता है। इस व्रत के दिन उमा-महेश्वर का पूजन किया जाता है। यह व्रत सभी कष्टों को दूर करके जीवन में सुख-समृद्धि लाता है।
 
भाद्रपद पूर्णिमा पूजा विधि- 
 
* पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत होकर व्रत का संकल्प लें। 
 
* इसके बाद विधिपूर्वक से भगवान सत्यनारायण और उमा-महेश्वर का पूजन करें।
 
* पुष्प, फल, मिठाई, पंचामृत और नैवेद्य अर्पित करें। 
 
* तत्पश्चात भगवान सत्यनारायण की कथा सुनें अथवा पढ़ें। 
 
* इस दिन जरूरतमंद व्यक्ति अथवा ब्राह्मण को अपनी योग्यतानुसार दान अवश्य करें। 
 
* इसी दिन पितृ पक्ष आरंभ हो रहा है और पूर्णिमा की तिथि को पहला श्राद्ध भी है। अत: इस दिन पितरों को याद करके उनका तर्पण करना उचित रहता है। 
 
* जिन लोंगों के पितरों का श्राद्ध पूर्णिमा तिथि को होता है, उन्हें पूर्णिमा श्राद्ध के दिन पिंडदान, तर्पण आदि कार्य मु्ख्य रूप से करना चाहिए। 
 
कथा- 
मत्स्य पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार एक बार महर्षि दुर्वासा भगवान भोलेनाथ के दर्शन करके लौट रहे थे। तभी रास्ते में उनकी भेंट भगवान श्री विष्णु से हो गई। ऋषि दुर्वासा ने शंकर जी द्वारा दी गई बिल्व पत्र की माला विष्णु जी को दे दी। भगवान विष्णु ने उस माला को स्वयं न पहनकर गरुड़ के गले में डाल दी।

इस बात से महर्षि दुर्वासा ने क्रोधित होकर विष्णु जी को श्राप दिया, कि लक्ष्मी जी उनसे दूर हो जाएंगी। उनका क्षीरसागर छिन जाएगा, शेषनाग भी सहायता नहीं कर सकेंगे। जब भगवान विष्णु जी ने महर्षि दुर्वासा को प्रणाम करके इस श्राप से मुक्त होने का उपाय पूछा। तब महर्षि दुर्वासा ने कहा कि उमा-महेश्वर व्रत करने की सलाह दी, और कहा कि तभी इस श्राप से उन्हें मुक्ति मिलेगी। तब भगवान श्री विष्णु ने यह व्रत किया और इसके प्रभाव से लक्ष्मी जी समेत उनकी सभी शक्तियां भगवान विष्णु को वापस मिल गईं। 
 
पूजन के मुहूर्त- 
 
पंचांग के अनुसार इस बार पूर्णिमा तिथि सोमवार, 20 सितंबर 2021 को सुबह 05.28 मिनट से आरंभ होकर उसका समापन मंगलवार, 21 सितंबर 2021 को सुबह 05.24 मिनट पर होगा। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है अत: इस दिन व्रत रखकर चंद्रमा की विशेष तौर उपासना करने और मंत्र जाप करने का भी महत्व माना गया है। 
 
-आरके. 

ALSO READ: Somvati Purnima 2021: पूर्णिमा के दिन करें ये 10 आसान उपाय, जीवन होगा खुशहाल

ALSO READ: Pitru Paksha 2021: कल से श्राद्ध पक्ष का आरंभ, जानिए कैसे करें पूर्णिमा श्राद्ध
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

ज़रूर पढ़ें

तुलसी विवाह देव उठनी एकादशी के दिन या कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन करते हैं?

Akshay Amla Navami 2024: अक्षय नवमी कब है? जानें पौराणिक महत्व

Tulsi vivah 2024: देवउठनी एकादशी पर तुलसी के साथ शालिग्राम का विवाह क्यों करते हैं?

Dev uthani ekadashi 2024: देव उठनी एकादशी की 3 पौराणिक कथाएं

Tulsi vivah 2024: तुलसी विवाह पूजा की विधि स्टेप बाय स्टेप में, 25 काम की बातें भी जानिए

सभी देखें

नवीनतम

11 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

11 नवंबर 2024, सोमवार के शुभ मुहूर्त

Saptahik Muhurat 2024: नए सप्ताह के सर्वश्रेष्ठ शुभ मुहूर्त, जानें साप्ताहिक पंचांग 11 से 17 नवंबर

Aaj Ka Rashifal: किन राशियों के लिए उत्साहवर्धक रहेगा आज का दिन, पढ़ें 10 नवंबर का राशिफल

10 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

अगला लेख
More