Kushotpatni Amavasya: इस बार 14 सितंबर को भाद्रपद अमावस्या रहेगी जिसे कुशोत्पाटिनी, कुशग्रहणी, कुशोत्पाठिनी और पोला पिठोरा अमावस्या भी भी कहते हैं। इस माह की अमावस्या का बहुत महत्व माना गया है। आओ जानते हैं इस किए जाने वाले 5 अचूक उपाय जो हर तरह के संकटों से मुक्ति दिलाए।
भाद्रपद अमावस्या का महत्व- Bhadrapada amavasya significance: भाद्रपद अमावस्या के दिन धार्मिक अनुष्ठान और यज्ञ के हेतु कुशा एकत्रित की जाती है, इसलिए इसे कुशग्रहणी अमावस्या भी कहा जाता है। यदि भाद्रपद अमावस्या सोमवार के दिन हो तो इस कुशा का उपयोग 12 सालों तक किया जा सकता है। इसे पिथौरा अमावस्याइसलिए कहते हैं क्योंकि इस दिन देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन माता पार्वती ने इंद्राणी को इस दिन व्रत रखने का महत्व बताया था। विवाहित स्त्रियों द्वारा संतान प्राप्ति एवं अपनी संतान के कुशल मंगल के लिए उपवास किया जाता है।
भाद्रपद अमावस्या के 5 अचूक उपाय:-
सूर्य को अर्घ्य दें : इस दिन सूर्योदय के समय उठकर किसी नदी, जलाशय या कुंड में स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें और फिर बहते जल में तिल प्रवाहित करें।
पितृ शांत के उपाय : इस दिन किसी शुद्ध नदी के तट पर पितरों की आत्म शांति के लिए तर्पण या पिंडदान करने के बाद किसी गरीब व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराकर दान दक्षिणा दें।
काल सर्पदोष निवारण : यदि आपकी कुंडली में काल सर्पदोष है तो इस दिन इस दोष का निवारण करने के लिए नागबलि पूजा करें या किसी पंडित से पूछकर उपाय करें।
पीपल पूजा : यदि आप तर्पण या पिंडदान नहीं कर सकते हैं तो किसी पीपल के पेड़ के नीचे जाकर सरसो के तेल का दीपक लगाएं और अपने पितरों का स्मरण करके श्रीहरि विष्णुजी से प्रार्थना करें। पीपल की सात परिक्रमा लगाएं।
शनि दोष से मुक्ति के उपाय : अमावस्या का दिन शनि दोष से मुक्ति का भी दिन होता है। इसलिए इस दिन उनकी पूजा करना जरूरी है।