Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

Atigand Yog अतिगंड योग क्या होता है, बेहद अशुभ और कष्टदायक परन्तु इन जातकों की बदल देता है किस्मत

हमें फॉलो करें atiganda yoga

WD Feature Desk

, शनिवार, 20 अप्रैल 2024 (11:26 IST)
atiganda yoga
Atigand Yog: मूलत: अश्विनी, अश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा, मूल व खेती ये छः नक्षत्र गण्डमूल कहे जाते हैं। तिथि लग्न व नक्षत्र का कुछ भाग गण्डान्त कहलाता है। अतिगण्ड योग वैदिक ज्योतिष के 27 योगों में से छठा योग है। इसे बहुत ही अशुभ योग माना जाता है। इस योग में जन्म लेने वाला जातक या तो टॉप पर रहता है या फिर एकदम बर्बाद जीवन होता है।
क्या होता है अतिगंड योग?
अतिगंड योग एक अशुभ समय है। अतिगण्ड की पहली 6 घटी को सभी अच्छे कार्यों के लिए अशुभ माना जाता है। इस योग में जन्म लेने वाले जातक का जीवन कष्टकारी होता है। गंभीर मामलों में कभी-कभी इसके परिणामस्वरूप परिवार के सदस्यों की मृत्यु भी हो सकती है। अतिगंडा योग का स्वामी चंद्रमा ग्रह है। 
मीन लग्न के अन्त की आधी घड़ी, कर्क लग्न के अंत व सिंह लग्न के प्रारम्भ की आधी घड़ी, वृश्चिक लग्न के अन्त एवं धनु लग्न की आधी-आधी घड़ी, लग्न गण्डान्त कहलाती है। अर्थात मीन-मेष, कर्क-सिंह तथा वृश्चिक-धनु राशियों की संधियों को गंडांत कहा जाता है। मीन की आखिरी आधी घटी और मेष की प्रारंभिक आधी घटी, कर्क की आखिरी आधी घटी और सिंह की प्रारंभिक आधी घटी, वृश्चिक की आखिरी आधी घटी तथा धनु की प्रारंभिक आधी घटी लग्न गंडांत कहलाती है। इन गंडांतों में ज्येष्ठा के अंत में 5 घटी और मूल के आरंभ में 8 घटी महाअशुभ मानी गई है। यदि किसी जातक का जन्म उक्त योग में हुआ है तो उसे इसके उपाय करना चाहिए।
अतिगंड योग का प्रभाव क्या है?
यदि कोई व्यक्ति अतिगंड योग के अंतर्गत जन्मा है, तो उसे जीवन में बहुत सारी बाधाओं और समस्याओं का सामना करना पड़ेगा, भले ही वह एक अमीर खानदान से संबंध रखता हो। ऐसा जातक अपने माता-पिता और करीबी प्रियजनों को बहुत अधिक मानसिक तनाव और चिंताएं देगा। ऐसे जातक बहुत जल्दी क्रोधित हो जाते हैं और अक्सर खुद को झगड़ों और झगड़ों में उलझा हुआ पाते हैं। उन्हें कभी भी मानसिक शांति का अनुभव नहीं होता। ऐसा व्यक्ति स्वभाव से अपराधी या धोखेबाज भी हो सकता है। वह अहंकारी, अल्पायु, भाग्यहीन, पाखंडी, रोगी, मातृहंता भी हो सकता है। अतिगण्ड में जन्म लेने वालों का यदि जन्म गण्ड नक्षत्र में हो तो ऐसा व्यक्ति कुलहन्ता होता है और इस योग से बालारिष्ट योग बनता है। अतिगण्ड में जब गण्डान्त योग बनता है उस समय जिस व्यक्ति का जन्म होता है वह व्यक्ति हत्या करने वाला भी हो सकता है। 
 
ज्येष्ठा नक्षत्र की कन्या अपने पति के बड़े भाई का विनाश करती है और विशाखा के चौथे चरण में उत्पन्न कन्या अपने देवर का नाश करती है। आश्लेषा के अंतिम 3 चरणों में जन्म लेने वाली कन्या या पुत्र अपनी सास के लिए अनिष्टकारक होते हैं तथा मूल के प्रथम 3 चरणों में जन्म लेने वाले जातक अपने ससुर को नष्ट करने वाले होते हैं। अगर पति से बड़ा भाई न हो तो यह दोष नहीं लगता है। मूल नक्षत्र के प्रथम चरण में पिता को दोष लगता है, दूसरे चरण में माता को, तीसरे चरण में धन और अर्थ का नुकसान होता है। चौथा चरण जातक के लिए शुभ होता है।
अतिगंड या गंडात योग दोष के उपाय : गंडांत योग में जन्म लेने वाले बालक के पिता उसका मुंह तभी देखें, जब इस योग की शांति हो गई हो। इस योग की शांति हेतु किसी पंडित से जानकर उपाय करें। गंडांत योग को संतान जन्म के लिए अशुभ समय कहा गया है। इस योग में संतान जन्म लेती है तो गण्डान्त शान्ति कराने के बाद ही पिता को शिशु का मुख देखना चाहिए। पराशर मुनि के अनुसार तिथि गण्ड में बैल का दान, नक्षत्र गण्ड में गाय का दान और लग्न गण्ड में स्वर्ण का दान करने से दोष मिटता है। संतान का जन्म अगर गण्डान्त पूर्व में हुआ है तो पिता और शिशु का अभिषेक करने से और गण्डान्त के अंतिम भाग में जन्म लेने पर माता एवं शिशु का अभिषेक कराने से दोष कटता है।
 
ज्येष्ठा गंड शांति में इन्द्र सूक्त और महामृत्युंजय का पाठ किया जाता है। मूल, ज्येष्ठा, आश्लेषा और मघा को अति कठिन मानते हुए 3 गायों का दान बताया गया है। रेवती और अश्विनी में 2 गायों का दान और अन्य गंड नक्षत्रों के दोष या किसी अन्य दुष्ट दोष में भी एक गाय का दान बताया गया है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Aaj Ka Rashifal: क्या कहती है ग्रहों की चाल, जानें 20 अप्रैल 2024 का राशिफल और उपाय