शनि का राशि परिवर्तन : 12 राशियों के लिए कैसा होगा गोचर, जानिए

कु. सीता शर्मा
शनि एक न्यायाधीश ग्रह है, जो अपने किए गए कर्म के अनुसार फल देता है। अच्छे कर्म का अच्छा फल और बुरे कर्म का बुरा फल देता है। ज्योतिष शास्त्र में शनि को चर्तुथ नौकर की संज्ञा दी है। वर्तमान में शनिग्रह वृश्चिक राशि गोचर कर रहा है, इस समय शनि की साढ़े साती तुला वृश्चिक तथा धनु राशि पर चल रही है। शनि अपनी चाल से दिनांक 26 जनवरी 2017 को वृश्चिक राशि से धनुराशि में प्रवेश करेंगे, तब तुला राशि के जातकों को साढ़े साती खत्म होगी और मकर राशि के जातकों की साढ़े साती शुरू हो जाएगी। 

 
 
 
मेष लग्न व मेष राशि - मेष लग्न व रशि व शनि का गोचर नवम भाव रहेगा। शनि यहां भाग्य स्थान पर बैठकर लाभ, परिश्रम तथा रोग स्थान को देख रहा है और यह कर्म तथा लाभ स्थान का स्वामी होकर भाग्य में वृद्धि करेगा। धर्म का पालन करने वाले तीर्थ यात्रा, आय के स्वामी बनेंगे, रोग जल्दी ठीक नहीं होगा, मित्रों से कष्ट, पिता से विरोध, स्थान परिर्वतन, धैर्य रखें, कर्म से सफलता अवश्य मिलेगी।
वृषभ लग्न व वृष राशि - शनि वृषभ लग्न व वृषभ रशि अष्टम स्थान पर गोचर करेगा जो भाग्य व कर्म के स्वामी होने से आयु में  कमी, संघर्ष मे कमी, कार्य क्षेत्र मे परिर्वतन, व्यर्थ की, नौकरी में बदलाव, भागदौड़, परंतु गूढ़ विद्या में रूचि बढ़ेगी, गुप्त संबध न बनाएं, कुटुंब में विवाद, वाणी पर नियंत्रण रखें, नई खोज करेंगे, अति उत्साही न बनें।
मिथुन लग्न व मिथुन राशि - शनि नौंवे व अष्टम भाव के स्वामी होकर सप्तम भाव पर गोचर करेगा। विवाह के योग बनेंगे, साझेदारी अच्छी रहेगी, भाग्य में वृद्धि‍, खोज करने की प्रवृत्त‍ि बढ़ेगी, गुप्त विद्याओं में पारंपगत बनेंगे, सुख मकान, वाहन के योग भी बनेंगे, कई प्रकार की ख्याति प्राप्त करेंगे, व्यापार अच्छा चलेगा।

कर्क लग्न व कर्क राशि - शनि सातवें भाव व अष्टम भाव का स्वामी होकर छठे भाव में गोचर करेगा। शत्रु में वृद्धि‍, विदेश जाने के योग बन सकते हैं, पति पत्नी में अनबन रहेगी, रोग लंबा रहेगा, कर्ज लेना पड़ सकता है, वाणी पर नियंत्रण रखें, नहीं तो मित्र शत्रु बनेंगे। अकेलापन महसूस कर सकते हैं, व्यर्थ की भागदौड़ रहेगी, खर्च अधिक रहेगा, परंतु मनोबल बढ़ेगा।


सिंह लग्न व सिंह राशि - शनि सातवें भाव और छठेंं  भाव का स्वामी होकर, पंचम भाव में गोचर करेगा। संतान पक्ष कमजोर रहेगा, कर्ज चुकेगा, साझेदारी अच्छी रहेगी, व्यापार में वृद्धि‍, शिक्षा में सफलता, अधिक परिश्रम के साथ सफलता मिलेगी, गर्भवती महिलाओं कि विशेष सावधानी रखनी पड़ेगी, शेयर निवेश करते वक्त सावधानी रखें। 
कन्या लग्न व कन्या राशि - शनि पांचवे व छठे भाव के स्वामी होकर चर्तुथ भाव मे गोचर करेगा। सुख में  वृद्धि‍, आलस्य बढ़ेगा, कर्ज से मुक्ति मिलेगी, संतानपक्ष कमजोर रहेगा, कार्यक्षेत्र अच्छा रहेगा, प्रमोशन के योग बनेंगे, अनावश्यक कर्ज लेना पड़ सकता है, क्रोध बढ़ेगा, थकान रहेगी, खान-पान पर ध्यान दें, भूमि संबंध केस में सफलता मिलेगी।

तुला लग्न व तुला राशि - शनि पांचवे व चतुर्थ भाव का स्वामी होकर तृतीय भाव में गोचर करेगा, तब यात्रा के योग बनेंगे, आपकी राशि पर से साढ़े साती भी समाप्त हो रही है, जिससे बहुत राहत महसूस करेंगे। भाई बहन का सहयोग मिलेगा, भाग्य में कमी रहेगी, खर्च पर नियंत्रण जरूरी है। यश मिलेगा, मान सम्मान में वृद्धि होगी, कई प्रकार की सुख सुविधाएं मिलेंगी, धन की प्राप्ति हाेगी परंतु अपने काम को लेकर सर्तक रहें और दूसरों को शिकायत का मौका न दें।


वृश्चिक लग्न व वृश्चिक राशि - शनि तृतीय और चर्तुथ भाव का स्वामी होकर दूसरे धन भाव में गोचर करेगा, संघर्ष करना पड़ेगा, वाहन, मकान का सुख मिलेगा, वाणी पर नियंत्रण रखें, मानसिक दबाव महसूस करेंगे, खानपान पर विशेष ध्यान देना पड़ेगा, प्रॉपटी में निवेश करेंगे, विदेश के योग बनेंगे, धन संचय होगा, आपको व्यापार, नौकरी या खेती के क्षेत्र से आय अधिक होगी, मान सम्मान मिलेगा।
धनु लग्न व धनु राशि - शनि तृतीया और द्वितीय भाव के स्वामी होकर लग्न भाव में गोचर करेगा, आपको शारीरिक परेशानी का सामना करना पड़ सकता है, इस समय साढ़े साती भी चल रही है वाणी दोष के कारण बनाया काम बिगड़ सकता है, शारीरिक थकावट महसुस करेंगे, व्यर्थ की भागदौड़ रहेगी, दांपत्य जीवन में कठिनाई होगी। विवाह के योग बनेंगे, साझेदारी के योग बनेंगे, मान सम्मान मिलेगा, जितनी मेहनत करेंगे उतना फल मिलेगा। राज्य से लाभ मिलेगा, नौकरी में पदोन्नति मिलेगी।

 मकर लग्न व मकर राशि - शनि लग्न और द्वितीय भाव के स्वामी होकर बारहवें भाव में गोचर करेगा। शारीरिक आर्थिक और मानसिक परेशानियां रहेगी। मकर राशि वाले जातकों को साढ़े साती प्रारंभ हो जाएगी, शुरू के ढाई साल संघर्ष के रहेंगे। खर्च बढ़ेगा, पर्यटन स्थल का भ्रमण रहेगा। शत्रु पर विजयी होंगे, नौकरी में सफलता मिलेगी, पराक्रम में वृद्धि होगी। सत्य का आचरण करें, झूठी गवाही न दें, मेहनत अधिक करें। 


कुंभ लग्न व कुंभ राशि - शनि लग्न व बारहवें भाव के स्वामी होकर ग्यारहवें भाव में गोचर करेगा। यह शुभ फल प्रदान करने वाला है। योजनाएं सफल होंगी, वाणी माधुर्य रहेगी, आय के नए स्त्रोत बनेंगे। बाहरी क्षेत्र से लाभ मिलेगा, खर्च अधिक होगा। समय शान और शौकत में बीतेगा। विदेश यात्रा के योग बनेंगे। पैतृक संपत्ति का लाभ मिलेगा।
मीन लग्न व मीन राशि - शनि ग्यारहवें और बारहवें भाव के स्वामी होकर दशम भाव मे गोचर करेगा, हर्ष, विषाद, लाभ और हानि दोनों मिले-जुले रहेंगे। मकान व वाहन के योग बनेंगे। स्थान परिवर्तन भी हो सकता है। पुरातत्व से अच्छा लाभ मिलेगा। आयु में वृद्धि होगी परंतु स्वास्थ्य में उतार चढ़ाव रहेगा। 
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