Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

25 मई को अस्त होगा अगस्त्य का तारा, जानिए 10 अनजानी बातें

हमें फॉलो करें 25 मई को अस्त होगा अगस्त्य का तारा, जानिए 10 अनजानी बातें
, गुरुवार, 19 मई 2022 (17:14 IST)
Astrology : अगस्त्य या अगस्ति को अंग्रेजी में कनोपस (Canopus) कहते हैं। 25 मई 2022 को शाम करीब 6 बजे यह तारा अस्त हो जाएगा और इसी दिन से नौतपा प्रारंभ होगा। आओ जानते हैं इस तारे की 10 अनजानी बातें।
 
 
1. ऋषि अगस्त्य ने इस तारे में सबसे पहले शोध किया था। अगस्त्य तारे की कथा अगस्त्य मुनि से जुड़ी हुई है।
 
2. यह धरती पर से दक्षिण दिशा में दिखने वाला दूसरा सबसे चमकता हुआ तारा है।
 
3. जनवरी में जब सूर्य उत्तरायण होता है उसके बाद मई तक इस तारे को आसानी से देखा जा सकता है।  
 
4. कहते हैं कि यह लगभग 180 प्रकाश वर्ष दूर यानी 95 अरब किलोमीटर दूर है और यह सूर्य से करीब 100 गुना अधिक बड़ा है।
 
5. कहते हैं कि जब यह तारा अस्त होता है इसके बाद से ही वर्षा ऋतु प्रारंभ हो जाती है। 
 
6. भारतीय खगोलविद वराहमिहिर के अनुसार इसी तारे के कारण वाष्पीकरण की प्रक्रिया चलती रहती है और बादल बन जाते हैं। बादलों के सघन होने के बाद वे बरसने लगते हैं।
webdunia
7. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वृत्तासुर नामक असुर के कारण देवता परेशान हो जाते हैं। वृत्तासुर और देवराज इंद्र में घमासान होता और वृत्तासुर का वध हो जाता है लेकिन उसकी सेना समुद्र में जाकर छुप जाती है। देवता समुद्र में इस सेना को खोज नहीं पाते हैं तब वे विष्णुजी के पास जाकर विनती करते हैं। विष्णुजी उन्हें अगस्त्य ऋषि के पास भेज देते हैं। अगस्त्य मुनि समुद्र का पानी पी जाते हैं और इस तरह असुरों की सेना का संहार होता। दरअसल समुद्र का पानी पीने का अर्थ है कि समुद्र के पानी के वाष्पीकरण हो जाता है और यह सारा पानी मेघ बनकर बाद में बरसता है।
 
8. कहते हैं कि मई में अस्त इस तारे का उदय 7 सितंबर को होगा और इसके बाद फिर से समुद्र के पानी का वाष्पीकरण प्रारंभ हो जाएगा।
 
9. इस तारे को देखने पर यह पीलापन लिए हुए सफेद चमकदार दिखाई देता है। 
 
10. ज्योतिष के अनुसार यह तारा यह भाद्रपद में जब सूर्य सिंह राशि में 17 अंश का होता है तब यह उदय होता है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

ज्येष्ठ मास समर्पित है सूर्यदेव को, जानिए महिमा और पूजा का तरीका