ज्योतिष में कई ऐसे अद्भुत योग होते हैं जिनके जन्मपत्रिका में होने से मनुष्य धन,यश,पद,प्रतिष्ठा,स्त्री,पुत्र आदि का सुख भोगता हुआ सानन्द जीवन सम्पन्न करता है। ऐसा ही एक शुभ योग है अधियोग। अधियोग जिस किसी जातक की जन्मपत्रिका में होता है उसका सम्पूर्ण जीवन ऐश्वर्य व आनन्द से भरपूर होता है। उसे अपने जीवन में समस्त सुख प्राप्त होते हैं। आइए जानते हैं कि अधियोग का निर्माण जन्मपत्रिका में किन ग्रहस्थितियों में होता है।
अधियोग दो प्रकार का होता है- 1. लग्नाधि योग 2. चन्द्राधियोग।
1. लग्नाधि योग- जब जन्मलग्न से छठे, सातवें व आठवें भाव में कोई शुभ ग्रह स्थित हों और उन पर किसी क्रूर ग्रह का प्रभाव ना हो एवं वे शुभ ग्रह सूर्य के द्वारा अस्त ना हों तब जन्मपत्रिका में लग्नाधि योग का निर्माण होता है।
2. चन्द्राधि योग- जब चन्द्रलग्न या चन्द्र से षष्ठ, सप्तम व अष्टम भाव में कोई शुभ ग्रह स्थित हों और उन पर किसी क्रूर ग्रह का प्रभाव ना हो एवं वे शुभ ग्रह सूर्य के द्वारा अस्त ना हों तब जन्मपत्रिका में चन्द्राधि योग का निर्माण होता है।
ये दोनों ही योग अत्यन्त शुभ माने गए हैं इनके जन्मपत्रिका में स्थित होने से जातक को धन,यश,पद,प्रतिष्ठा,स्त्री,पुत्र आदि की प्राप्ति होती है एवं जातक का जीवन संघर्षविहीन होकर आनन्दमय व्यतीत होता है। अधियोग में उत्पन्न जातक महान ऐश्वर्यवान, प्रतिभाशाली एवं राजा के तुल्य होता है।
-ज्योतिर्विद पं हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र
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