इन दिनों सोशल मीडिया पर एक पोस्ट इधर से उधर घूम रही है कि महिलाएं आटा गूंथने के बाद उस पर उंगलियों से निशान क्यों बनाती हैं? इस पोस्ट का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है लेकिन आमजन इसे मानने में कोई बुराई भी नहीं समझ रहे हैं..आइए जानते हैं क्या कहती है यह पोस्ट...
आपने अक्सर देखा होगा खासकर महिलाएं रोटी पकाने से पहले जब आटा गूंथतीं हैं तो अंत में उस पर उंगलियों से कुछ निशान बना देती हैं या फिर कई महिलाएं अपने हाथ में लगा हुआ आटा, गूंथे हुए आटे पर चिपकाती हैं।
दरअसल इसके पीछे कोई वैज्ञानिक कारण नहीं है बल्कि हमारी एक प्राचीन मान्यता है। हिंदुओं में पूर्वजों एवं मृत आत्माओं को संतुष्ट करने के लिए पिंड दान की विधि बताई गई है। पिंडदान के लिए जब आटे की लोई (जिसे पिंड कहते हैं) बनाई जाती है तो वह बिल्कुल गोल होती है। इसका आशय होता है कि यह गूंथा हुआ आटा पूर्वजों के लिए है। मान्यता है कि इस तरह का आटा देखकर पूर्वज किसी भी रूप में आते हैं और उसे ग्रहण करते हैं।
यही कारण है कि जब मनुष्यों के ग्रहण करने के लिए आटा गूंथा जाता है तो उसे गोल ना छोड़ कर, उसमें उंगलियों के निशान बना दिए जाते हैं। यह निशान इस बात का प्रतीक होते हैं कि रखा हुआ आटा, लोई या पिंड पूर्वजों के लिए नहीं बल्कि इंसानों के लिए है।
प्राचीन काल में महिलाएं प्रतिदिन एक लोई पूर्वजों के लिए, दूसरी गाय के लिए, अंतिम कुत्ते के लिए निकालती थी।
हमने घर की बुजुर्ग महिलाओ से इस सम्बंध में बात की तो पता चला है कि परम्परागत रुप से यह सीख उन्हे मिली है कि आटे में से एक लोई निकाल कर वापिस लगाना इस बात का संकेत है कि अन्नदेवता का स्मरण कर हर जीवधारी के निमित्त घर का अन्न अर्पण करना,उसके बाद गाय,कुत्ते,चिडिया,चिंटी आदि के लिए उंगलियों से निशान के बाद हिस्सा निकालना...
पिंड या पितृ वाली बात से उनकी सहमति नहीं पाई गई...
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