Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

यदि विवाह नहीं किया तो पढ़ें और कर लिया तो जरूर पढ़ें सप्तम भाव के बारे में

हमें फॉलो करें यदि विवाह नहीं किया तो पढ़ें और कर लिया तो जरूर पढ़ें सप्तम भाव के बारे में
विवाहपूर्व कुंडली मिलान में अधिकतर लोग गुण मिलाकर शादी कर लेते हैं। गुणों में भी यदि 36 में से 18 मिल गए तो कुछ ज्योतिष विावह के लिए हां कर देते हैं। गुणों में नाड़ी के मिलने का अर्थ होता है कि संतान में बाधा नहीं आएगी और यदि भकूट एवं मैत्री भी मिल जाए तो माना जाता है कि दोनों में सामंजस्य रहेगा। लेकिन कुंडली मिलान में सप्तम भाव का बड़ा महत्व होता है। केवल गुण मिला देने से या मंगलिक वाली बातों को बताने से इन बातों का फल सही नहीं मिलता है, इसके लिए कुंडली के सातंवे भाव का योगा योग देखना भी जरूरी होता है।
 
कुंडली में सप्तम भाव को विवाह का घर माना जाता है। इस भाव में जो घर बैठा हो वैसा वैवाहिक जीवन होने की मान्यता है। सातवें भाव को पत्नी, ससुराल, प्रेम, भा‍गीदारी और गुप्त व्यापार के लिए भी माना जाता है।
 
ज्योतिषाचार्यों अनुसार यदि सातवें भाव पर पापग्रहों की दृष्टि है या अशुभ राशि का योग होता है तो पुरुष चरित्रिहीन हो सकता है। लेकिन यदि स्त्री की कुंडली में इस भाव में पापग्रह विराजमान है और कोई शुभ ग्रह की दृष्टि नहीं है तो कहा जाता है कि ऐसी स्त्री पति की मृत्यु का कारण बनती है। लेकिन यदि कुंडली के द्वितीय भाव में शुभ ग्रह बैठे हैं तो पहले स्त्री की मौत होती है। इसके अलावा यदि सूर्य और चंद्र की आपस में दृष्टि शुभ होती है तो पति और पत्नी में आपसी सामंजस्य अच्छा रहता है।
 
 
माना जाता है कि यदि चंद्र और सूर्य की आपसी दृष्टि 150 डिग्री, 180 डिग्री या 72 डिग्री के आसपास की युति होती है तो कभी भी किसी भी समय तलाक की नौबत आ सकती है या अलगाव हो जाएगा। और यदि केतु और मंगल का संबंध किसी प्रकार से आपसी युति बना ले तो वैवाहिक जीवन आदर्शहीन होगा। स्त्री की कुंडली में सूर्य सातवें स्थान पर पाया जाना ठीक नहीं माना गया है। ऐसा योग वैवाहिक जीवन पर गहरा प्रभाव डालता है।
 
 
अत: याद रखें यदि विवाह करने जा रहे हैं तो कुंडली मिलान के साथ ही सातवें भाग का निरिक्षण भी किसी ज्योतिष से करवा ही लें। और यदि विवाह कर लिया है तो डरने की जरूरत नहीं आप लाल किताब के सामान्य से उपाय करके भी किसी अनिष्ट से बच सकते हैं। इसके लिए जरूरी है चरित्र का उत्तम होगा।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

शिव चतुर्दशी पर जपें भगवान शिव के विशेष मंत्र