Nautapa 2023 Start Date
नौतपा का नाम सुनते ही जनमानस के मन में भय और शरीर पर स्वेद (पसीना) का अहसास होने लगता है। मान्यता है कि इन नौ दिनों में ग्रीष्म ऋतु अपने शिखर पर होती है और देशमें भीषण गर्मी पड़ती है। हमारे देश में नौतपा को लेकर कुछ ज्योतिषीय सिद्धान्त और मान्यताएं भी प्रचलित हैं। क्या यह ज्योतिषी सिद्धांत प्रामाणिक हैं या केवल मान्यता है! इस पर गहन चिंतन की आवश्यकता है।
हमारे (पं. हेमंत रिछारिया के) अनुसार किसी भी रुढ़ि को सिद्धान्त व नियम के रूप में मान्यता देने से पूर्व उसके विषय में गूढ़ चिंतन और प्रचलित तथ्यों का प्रति-परीक्षण करना आवश्यक होता है। नौतपा को ज्योतिषीय या शास्त्रीय मान्यता देने से पूर्व हमें यह समझना होगा कि नौतपा के प्रारम्भ व अन्त होने सम्बन्धी प्रचलित धारणाएं व मान्यताएं क्या हैं?
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है नौतपा अर्थात् नौ दिनों का तपनकाल। ऐसी प्रचलित मान्यता है कि ग्रीष्म ऋतु के इन नौ दिनों में गर्मी अपने शिखर पर होती है एवं यह अवधि नौ दिनों की होती है। इस दौरान तेज तपन के साथ गर्म हवाओं से मौसम शुष्क व गर्म रहता है। यही वजह है कि जनमानस इस नौ दिनों की अवधि अर्थात् नौतपा से भयाक्रान्त रहते हैं। जानते हैं कि नौतपा के पीछे ज्योतिषीय आधार क्या हैं?
हमारे (पं. हेमंत रिछारिया के) मतानुसार नौतपा एक विशुद्ध मौसम के परिवर्तन सम्बन्धी घटना है ना कि ज्योतिष सम्बन्धी, इसे ज्योतिषीय आधार देना उचित नहीं। प्राचीन काल में एक विशेष समय में भीषण गर्मी होने के कारण इसके पीछे कारण खोजने पर कुछ ज्योतिषी आधार अवश्य मिले हो सकते हैं किन्तु वर्तमान समय में वे आधार निष्कर्ष की कसौटी पर खरे नहीं उतर पा रहे हैं। आपने देखा होगा कि विगत कुछ वर्षों में नौतपा की अवधि में भीषण गर्मी नहीं पड़ी अपितु नौतपा की अवधि से पूर्व ही कभी-कभी भीषण गर्मी पड़ जाया करती है।
दूसरी ओर सिद्धान्त तभी नियम के रूप में स्वीकार्य होते हैं जब वे सार्वभौम हों, किसी विशेष देश-काल-परिस्थिति में घटित होने वाली घटनाओं को हम नियम के रूप में मान्यता नहीं दे सकते। जैसे नौतपा के जो प्रचलित शास्त्रीय व ज्योतिषीय आधार हैं वे भारतवर्ष के अधिकांश हिस्सों में भले ही सही हों लेकिन सम्पूर्ण विश्व के परिप्रेक्ष्य में वे एकदम गलत साबित होते हैं जैसे अमरीका जैसे ठंडे प्रदेशों में भी क्या नौतपा का कोई प्रभाव पड़ता है! या हिमाचल,शिमला,हरिद्वार,मनाली जैसे पर्वतीय क्षेत्रों में नौतपा अपने प्रभाव को सही साबित कर पाता है? नहीं ना... जबकि नौतपा के ज्योतिषीय व शास्त्रीय आधार इन स्थानों के लिए भी वही हैं जो भीषण गर्मी वाले स्थानों के लिए। अत: नौतपा को लेकर हमें व जनमानस को ज्योतिषीय आधार व शास्त्रीय बन्धनों से मुक्त होना होगा। इसे केवल मौसम परिवर्तन जैसी सामान्य घटना के रूप में ही देखा जाना चाहिए।
नौतपा को लेकर क्या हैं ज्योतिषीय मान्यताएं
उपर्युक्ति विश्लेषण से अब तक आप यह समझने में सक्षम हो गए होंगे कि नौतपा एक मौसम परिवर्तन की घटना है किन्तु उसके ज्योतिषीय आधार से भी आपका परिचित होना आवश्यक है। पंचांग अनुसार नौतपा का प्रारम्भ सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में आने व स्थित रहने पर होता है। ऐसी मान्यता है कि जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र पर आते हैं तो उनकी तपन में वृद्धि होती है। सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में स्थिति रहने के प्रथम नौ दिन अत्यन्त तपन वाले होते है फ़िर शनै: शनै: इस तपन की तीव्रता में कमी आती है एवं सूर्य के मृगशिरा नक्षत्र में आ जाने पर बारिश होती है ऐसी मान्यता है।
26 मई 2023 से लगेंगे नौतपा-Nautapa Will Start From May 26
पंचांग अनुसार इस वर्ष सूर्य का रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश 22 या 25 को नहीं बल्कि दिनांक 26 मई को होगा अत: इसी दिन से नौतपा का प्रारम्भ माना जाएगा एवं 08 जून तक सूर्य रोहिणी नक्षत्र में रहेंगे। इस अवधि के प्रथम नौ दिन तक नौतपा की अवधि रहेगी तत्पश्चात् सूर्य मृगशिरा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे।
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र
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