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इन 15 शुभ मुहूर्त में ही करें कोई कार्य

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अनिरुद्ध जोशी

, शुक्रवार, 10 अप्रैल 2020 (15:43 IST)
दिन और रात को मिलाकर कुल 30 मुहूर्त होते हैं। दिन और रात के 24 घंटे के समय के अनुसार देखा जाए तो प्रात: 6 बजे से लेकर दिन-रात मिलाकर प्रात: 5 बजकर 12 मिनट तक कुल 30 मुहूर्त होते हैं। एक मुहूर्त 2 घड़ी अर्थात 48 मिनट के बराबर होता है। 24 घंटे में 1440 मिनट होते हैं:- मुहूर्त सुबह 6 बजे से शुरू होता है।
 
 
15 शुभ मुहूर्त : शुभ मुहूर्त जानते समय वक्त तिथि, वार, नक्षत्र, पक्ष, अयन, चौघड़ियां एवं लग्न आदि का भी ध्यान रखा जाता है। शुभ मुहूर्त कुल 15 है- रुद्र, श्‍वेत, मित्र, सारभट, सावित्र, वैराज, विश्वेदेवा, अभिजित, रोहिण, बल, विजय, नैरऋत, वरुण, सौम्य और भग। अमृत/जीव मुहूर्त और ब्रह्म मुहूर्त बहुत श्रेष्ठ होते हैं

 
*रुद्र में सभी प्रकार के मारणादि प्रयोग, भयंकर एवं क्रूर कार्य।
*श्‍वेत में नए वस्त्र धारण, बगीचा लगाना, कृषि कार्यो का आरंभ आदि या इसी तरह के अन्य कार्य करना चाहिए।
*मित्र में मित्रता, मेल-मिलाप और संधि आदि के कार्य करें।
*सारभट में शत्रुओं के लिए अभिचार कर्म करना।
*सावित्र में सभी प्रकार के यज्ञ, विवाह, चूडाकर्म, उपनयन, देवकार्य आदि संस्कार किए जाते हैं।
*वैराज में पराक्रम के कार्य, शस्त्रों का निर्माण, वस्त्रों का दान आदि किया जाता है।
*विश्वावसु द्विजाति के स्वाध्याय संबंधी सभी कार्य एवं अर्थ सिद्धि के कार्य किए जाते हैं।
*अभिजित में सभी वर्ण एवं जाति के मेल-मिलाप संबंधी कार्य, धन संग्रह, यात्रा आदि के कार्य किए जाते हैं। यह मुहूर्त सब प्रकार की कामनाओं को पूर्ण करने वाला भी माना गया है।
*रोहिणी में पेड़, पौधे, बेल, लताएं आदि लगाए जाते हैं। इससे वे निरोग रहकर उन पर सर्वदा ही सुन्दर फल एवं फूल लगे रहते हैं।
*बल में सेनाओं का संचालन और आक्रमण करने का कार्य किया जाता है जिसके चलते विजय अवश्य प्राप्त होती है।
*विजय में स्वस्ति वाचन तथा शांति पाठ आदि मंगलाचार कार्यो को संपन्न किया जाता है। किसी देश आदि पर चढ़ाई करने के लिए यह मुहूर्त श्रेष्ठ होता है।
*नैरऋत में शत्रुओं के राष्ट्रों पर आक्रमण करना शुभ होता है। इस मुहूर्त में आक्रमण करके उनकी संपूर्ण सेना को नष्ट किया जा सकता है।
*वरुण में जल में उत्पन्न होने वाले धान्य, गेंहूं, जौ, धान, कमल आदि के बीज बोना शुभ होता है।
सौम्य में सभी तरह के मांगलिक या शुभ कार्य सफल होते हैं।
*भग में कन्याओं के सौभाग्य कार्य अर्थात पाणिग्रहण संस्कार को करना शुभ होता है।
 
इन दिनों के मुहूर्त वर्जित : रवि के दिन 14वां, सोमवार के दिन 12वां, मंगलवार के दिन 10वां, बुधवार के दिन 8वां, गुरु के दिन 6टा, शुक्रवार के दिन 4था और शनिवार के दिन दूसरा मुहूर्त कुलिक शुभ कार्यों में वर्जित हैं।
 
30 मुहूर्तों के नाम : एक मुहूर्त 2 घड़ी अर्थात 48 मिनट के बराबर होता है। 24 घंटे में 1440 मिनट होते हैं:- मुहूर्त सुबह 6 बजे से शुरू होता है:- रुद्र, आहि, मित्र, पितॄ, वसु, वाराह, विश्वेदेवा, विधि, सतमुखी, पुरुहूत, वाहिनी, नक्तनकरा, वरुण, अर्यमा, भग, गिरीश, अजपाद, अहिर, बुध्न्य, पुष्य, अश्विनी, यम, अग्नि, विधातॄ, क्ण्ड, अदिति जीव/अमृत, विष्णु, युमिगद्युति, ब्रह्म और समुद्रम।

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