कहते हैं, जो फल कपिला नामक गाय के दान से प्राप्त होता है और जो कार्तिक व ज्येष्ठ मासों में पुष्कर स्नान, दान, पुण्य आदि से मिलता है, वह पुण्य फल ब्राह्मण वर के पाद प्रक्षालन एवं चरण वंदन से प्राप्त होता है।
हिन्दू संस्कारों में विवाह के समय कन्या के माता-पिता द्वारा इसी भाव से वर का पाद प्रक्षालन किया जाता है। पैर के अंगूठे द्वारा भी शक्ति का संचार होता है।
मनुष्य के पांव के अंगूठे में विद्युत संप्रेक्षणीय शक्ति होती है।
यही कारण है कि वृद्धजनों के चरण स्पर्श करने से जो आशीर्वाद मिलता है उससे अविद्यारूपी अंधकार नष्ट होता है और व्यक्ति उन्नति करता है ।