Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

वर्ष 2020 में राहु कैसे चलेगा अपनी चाल, जानिए लाल किताब के अनुसार

हमें फॉलो करें वर्ष 2020 में राहु कैसे चलेगा अपनी चाल, जानिए लाल किताब के अनुसार

अनिरुद्ध जोशी

यदि यह मान लिया जाए कि अगला 2020 वर्ष अंक ज्योतिष के अनुसार राहु के स्वामित्व वाला वर्ष है तो लाल किताब के अनुसार यह समझना होगा कि राहु क्या है।
 
 
लाल किताब के अनुसार राहु के देवी या देवता सरस्वती है। उसका नक्षत्र स्वामी आद्रा है। उसका रंग काला जबकि पेशा सेवा करना है। वह लोगों में सोचने की ताकत बढ़ाता है, डर पैदा करता है और शत्रुता बढ़ाता है। उसकी सिफत चालबाज, मक्कार, नीच और जालिम है। वह कल्पना शक्ति का स्वामी, पूर्वाभास तथा अदृश्य को देखने की शक्ति रखता है। मतलब यह कि वर्ष की कुंडली में राहु यदि खराब होगा तो देश में षड़यंत्र, चालबाजी और दहशत बढ़ेगी।
 
 
हमारे शरीर के भाग में ठोड़ी और सिर, पोशाक में पायजामा और पतलून राहु है। उसी तरह पशुओं में हाथी और कांटेदार जंगली चूहा है। वक्षों में नारियल का पेड़ और कुत्ता घास है। यदि रत्न की बात करें तो नीलम, सिक्का और गोमेद है। वह सूर्य, मंगल और चंद्र से शत्रुता रखता है जबकि बुध, शनि और केतु से मित्रता। गुरु और शुक्र से समभाव है। राहु यदि सूर्य के साथ हो तो सूर्य ग्रहण और चंद्र के साथ हो तो चंद्र का असर नाकाम कर देगा।

 
राहु जिस के भी सिर पर सवार होता है उसकी मौत अचानक होती है। कुंडली में यदि छठे या आठवें भाव में राहु है तो अन्य ग्रहों की स्थिति देखकर कहा जा सकता है कि इस व्यक्ति की मौत पलंग पर नहीं होगी। मतलब यह किसी बीमारी से नहीं मरेगा। मौत बिजली के जाने जैसी होगी।

 
यदि राहु अच्छा है तो व्यक्ति दौलतमंद होगा। कल्पना शक्ति तेज होगी। रहस्यमय या धार्मिक बातों में रुचि लेगा। राहु के अच्छा होने से व्यक्ति में श्रेष्ठ साहित्यकार, दार्शनिक, वैज्ञानिक या फिर रहस्यमय विद्याओं के गुणों का विकास होता है। इसका दूसरा पक्ष यह कि इसके अच्छा होने से राजयोग भी फलित हो सकता है। आमतौर पर पुलिस या प्रशासन में इसके लोग ज्यादा होते हैं।

 
यदि राहु खराब है तो व्यक्ति बेईमान या धोखेबाज होगा। ऐसे व्यक्ति की तरक्की की शर्त नहीं। राहु का खराब होना अर्थात दिमाग की खराबियां होंगी, व्यर्थ के दुश्मन पैदा होंगे, सिर में चोट लग सकती है। व्यक्ति मद्यपान या संभोग में ज्यादा रत रह सकता है।

 
पुराणों के अनुसार राहु सूर्य से 10,000 योजन नीचे रहकर अंतरिक्ष में भ्रमणशील रहता है। कुण्डली में राहु-केतु परस्पर 6 राशि और 180 अंश की दूरी पर दृष्टिगोचर होते हैं जो सामान्यतः आमने-सामने की राशियों में स्थित प्रतीत होते हैं। इनकी दैनिक गति 3 कला और 11 विकला है। ज्योतिष के अनुसार 18 वर्ष 7 माह, 18 दिवस और 15 घटी, ये संपूर्ण राशियों में भ्रमण करने में लेते हैं।

 
राहु की दृष्टि 5, 9 और 7 होती है पर ये राहु के वक्री गति के कारण 9, 7, 5 भाव पर होती इसके अतिरिक्त राहु की एक विशेष दृष्टि 12 भाव पर होती जो कि कुंडली मे क्रमशः जहां राहु बैठा है उससे 2, 5, 7 और 9वें भाव पर पड़ती है। इस 12 दृष्टि जो कि पीछे देख पाने में सक्षम से ही राहु को विशिष्ठ माना जाता है। अपनी इन विशिष्ट दृष्टि की वजह से राहु कैसे भी सारे ज्ञान को प्राप्त करने के लिए प्रयासरत रहता है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi