शनि ग्रह का नाम सुनते ही जो सबसे पहला विचार मन-मस्तिष्क में आता है वह है- साढ़ेसाती व ढैय्या। शनि को न्यायाधिपति कहा गया है और शनि दण्डाधिकारी भी हैं। वे मनुष्यों को उनके कर्मों के अनुसार शुभफ़ल व दण्ड देते हैं। उनका यह न्याय साढ़ेसाती व ढैय्या की अवधि में प्रबल रूप में प्रकट होता है। अपने नामानुसार ही साढ़ेसाती की अवधि साढ़ेसात वर्ष एवं ढैय्या की अवधि ढाई वर्ष की होती है।
साढ़ेसाती व ढैय्या का नाम सुनते ही जनमानस में भय व चिन्ता व्याप्त हो जाती है। लेकिन साढ़ेसाती को लेकर इस प्रकार का भय व चिन्ताएं पूर्णरूपेण सत्य नहीं होतीं क्योंकि जिन जातकों की जन्मपत्रिका में शनि उच्चराशिस्थ, राजयोगकारक एवं शुभ होते हैं उनके लिए साढ़ेसाती की अवधि शुभफ़लदायक एवं उन्नतिकारक होती है।
शनि सौरमण्डल के सबसे मन्द गति से चलने वाले ग्रह हैं। यह एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करने में ढाई वर्ष का समय लेते हैं। गोचरवश शनि जिस राशि में स्थित होते हैं वह एवं उससे दूसरी व बारहवीं राशि वाले जातक साढ़ेसाती के प्रभाव में होते हैं।
इसी प्रकार शनि स्थित राशि से चतुर्थ व अष्टम राशि वाले जातक ढैय्या से प्रभावित होते हैं। आइए जानते हैं कि वर्ष 2018 में कौन सी राशि वाले जातकों पर साढ़ेसाती का प्रभाव रहेगा एवं किन राशि वाले जातक ढैय्या से प्रभावित रहेंगे।
इन राशि वाले जातकों पर रहेगी शनि की साढ़ेसाती
वृश्चिक (अंतिम चरण)
धनु (द्वीय चरण)
मकर (प्रथम चरण)
इन राशि वाले जातकों पर रहेगी शनि की ढैय्या
वृष व कन्या
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
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