समय और परिस्थितियों ने करवट बदली है, गुड़ीपड़वा से नव वर्ष का प्रारंभ अब पंचांगों तक ही सीमित रह गया है। नव वर्ष के प्रति भारतीय जनमानस की मानसिकता बदली है। आज भारत सहित सारा संसार एक जनवरी से नए वर्ष का प्रवेश मानकर अपने कामकाज में इसका उपयोग करता है। सामान्यतः पाश्चात्य नव वर्ष का आरंभ कन्या लग्न से ही होता है। केवल ग्रह-गोचर अपनी जगह बदल देते है।
नव वर्ष को लेकर भारतीय जनमानस में बहुत उत्सुकता है। लोकपाल बिल देश का ध्यान केंद्रित किए हुए है। क्या भारत के संसदीय इतिहास में लोकपाल बिल पास हो जाएगा ? क्या अन्ना का लोकपाल केंद्र का लोकपाल बनेगा ?
इसी ऊहापोह की स्थिति में नव वर्ष की शुरुआत होगी। क्या 2012 में भारतीय अर्थव्यवस्था ठीक-ठाक रहेगी ? राजनेता और राजनीति की क्या स्थिति होगी ? महंगाई और बेरोजगारी क्या यथावत रहेगी ? हिंसा और आतंकी घटनाएं घटेंगी या बढ़ेंगी ? प्राकृतिक आपदाएं क्या पुनः कहर बरपाएंगी ? ऐसे प्रश्न हमारे मन में सदैव उत्सुकता पैदा करते हैं।
ऐसे में नए साल के पहले दिन यानी 1 जनवरी, 2012 की कुंडली पर विचार करना बहुत आवश्यक है। स्वतंत्र भारत का वृषभ लग्न है। वर्तमान में बृहस्पति की स्थिति चिंताजनक है। मेष राशि का बृहस्पति स्वतंत्र भारत की कुंडली में व्यय स्थान से भ्रमण कर रहा है। वहीं 2012 की कुंडली में बृहस्पति अष्टम भाव में है। आज देश की प्रमुख समस्याएं हैं - केंद्र सरकार व जनता के मध्य दूरी, बढ़ती महंगाई तथा बेरोजगारी आदि।
1 जनवरी, 2012 को मध्यरात्रि के ठीक बाद उत्तराभाद्रपद नक्षत्र, मीन राशि तथा कन्या लग्न में नव वर्ष का आगाज हो रहा है। राष्ट्र की कुंडली में लग्न का स्वामी बुध पराक्रम भाव में राहु के साथ स्थित है। यह समय सत्तापक्ष तथा विपक्ष के बड़े टकराव को दर्शा रहा है। लग्नेश का पराक्रम भाव में होना सुदृढ़, स्वच्छ तथा एक उन्नत भारत बनाना है। लग्न की चंद्रमा पर पूर्ण दृष्टि है अतः कुछ और नेता बेनकाब होंगे। चंद्रमा महिला के वर्चस्व को भी दर्शा रहा है। महिलाओं का वर्चस्व और बढ़ेगा।
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नव वर्ष की कुंडली में बृहस्पति चतुर्थ तथा सप्तम भाव का स्वामी है। चतुर्थ भाव जनता व सप्तम भाव साझेदारी तथा घटकदलों का है। बृहस्पति का अष्टम भाव में होना जनता के कष्ट बता रहा है। केंद्र सरकार के सहयोगी दलों की स्थिति चिंताजनक रहेगी। केंद्र सरकार मात्र सहयोगी दलों की जोड़-तोड़ में बेबस व उलझी रहेगी। अष्टम भाव का बृहस्पति कोई बड़ी जन आपदा भी ला सकता है। 17 मई, 2012 को बृहस्पति के राशि परिवर्तन के साथ ही सरकार की स्थिति सुदृढ़ होगी। व्यापार-व्यवसाय में भी तेजी के संकेत हैं।
व्यय स्थान में मंगल और नवांश में शनि-मंगल के वृश्चिक राशि में होने से मई से अक्टूबर के मध्य जनमानस प्रभावित होगा। आतंकी व हिंसा की घटनाओं का ग्राफ बढ़ेगा। 16 मई, 2012 को शनि वक्री होकर पुनः कन्या राशि में प्रवेश करेगा। यह समय सरकार के लिए कांटों भरा होगा। नेतृत्व परिवर्तन की स्थिति भी निर्मित हो सकती है।
प्राकृतिक आपदाओं से जनजीवन प्रभावित होगा। मंगल खंडवर्षा का संकेत दे रहा है, कहीं वर्षा कम तो कहीं ज्यादा होगी। शुक्र भाग्य तथा द्वितीय भाव का स्वामी होकर पंचम भाव में स्थित है। राज्यों के चुनावों में चौंकाने वाले परिणाम आएंगे। ग्लैमर तथा खेल जगत भारत के लिए उन्नतिदायक रहेगा। द्वितीय भाव में शनि की स्थिति देश के लिए मिश्रित फलदायी व मिलीजुली रहेगी। अगस्त, 2012 के पश्चात भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। सूर्य में गुरु का अंतर भारत की चमक को और बढ़ाएगा।
देश को दिशा देने वाले नेताओं पर भी नजर डालें। सोनिया गांधी संघर्ष तथा विवाद की स्थिति के बावजूद एक सशक्त तथा निर्भीक राजनीतिक छवि बनाए रहेंगी। मुलायम सिंह यादव के लिए समय स्वास्थ्य की दृष्टि से उत्तम नहीं रहेगा पर प्रदेश के चुनाव में मुलायम सिंह एक महत्वपूर्ण कड़ी बनकर उभरेंगे। वहीं सुषमा स्वराज को समय परिपक्वता प्रदान कर रहा है। 17 मई तक का सफर उनके लिए उन्नतिदायक है। यह समय उन्हें महत्वपूर्ण दायित्व दिलवा सकता है। अण्णा केसमर्थन में विवादास्पाद बयान चिंता का विषय बनेंगे।
उमा के लिए यह वर्ष राजनीतिक व सामाजिक छवि हेतु निर्णायक वर्ष होगा। वृश्चिक का राहू उनके लिए एक बार पुनः सत्ता के दरवाजे खुलवा सकता है। मायावती के लिए 2012 निर्णायक रहेगा। विधानसभा चुनाव चुनौतीपूर्ण होंगे। वे एक बार पुनः उत्तर प्रदेश में राज करेंगी, इसमें शंका है।
मनमोहन सिंह के सितारे गर्दिश में हैं। 17 मई के बाद कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी के राजनीतिक करियर में चार चांद लगने वाले हैं। लोकपाल के विषय में सरकार और अन्ना के बीच वे चतुराई से सेतु का काम अवश्य करेंगे।