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कच्ची उम्र में ही भारत से यूरोप चले गए थे भारतीय घुड़सवार जिन्होंने दिलाया सोना

हमें फॉलो करें कच्ची उम्र में ही भारत से यूरोप चले गए थे भारतीय घुड़सवार जिन्होंने दिलाया सोना
, मंगलवार, 26 सितम्बर 2023 (19:37 IST)
भारत की ड्रेसेज टीम ने मंगलवार को यहां Asian Games एशियाई खेलों में अपना पहला स्वर्ण पदक जीता जो घुड़सवारी के इतिहास में देश का सिर्फ दूसरा स्वर्ण पदक है।सुदीप्ति हजेला, दिव्यकृति सिंह, विपुल हृदय छेडा और अनुश अग्रवाला की टीम उम्मीदों पर खरी उतरी।

यह चौकड़ी चयन ट्रायल के दौरान भी अच्छा प्रदर्शन कर रही थी और इनके स्कोर पिछले एशियाई खेलों के पदक विजेतों से बेहतर या बराबर थे।भारत ने कुल 209.205 प्रतिशत अंक के साथ चीन (204.882 प्रतिशत अंक) और हांगकांग (204.852 प्रतिशत अंक) को पछाड़ते हुए स्वर्ण पदक जीता।
खेल के इतिहास में यह पहला मौका है जब भारत ने ड्रेसेज स्पर्धा में टीम स्वर्ण पदक जीता। भारत ने कांस्य पदक के रूप में ड्रेसेज में पिछला पदक 1986 में जीता था।भारत ने घुड़सवारी में पिछला स्वर्ण पदक नयी दिल्ली में 1982 में हुए एशियाई खेलों में जीता था। तब भारत ने इवेनटिंग और टेंट पेगिंग स्पर्धाओं में तीन स्वर्ण पदक जीते थे।

रघुबीर सिंह ने 1982 में व्यक्तिगत इवेनटिंग में स्वर्ण पदक जीतने के बाद गुलाम मोहम्मद खान, बिशाल सिंह और मिल्खा सिंह के साथ मिलकर टीम स्वर्ण पदक भी जीता था।रूपिंदर सिंह बरार ने व्यक्तिगत टेंट पेगिंग में भारत को तीसरा स्वर्ण पदक दिलाया था।

ड्रेसेज स्पर्धा में घोड़े और राइडर के प्रदर्शन को कई मूवमेंट पर परखा जाता है। प्रत्येक मूवमेंट पर 10 में से अंक (शून्य से 10 तक) मिलते हैं। प्रत्येक राइडर का कुल स्कोर होता है और वहां से प्रतिशत निकाला जाता है। सबसे अधिक प्रतिशत वाला राइडर अपने वर्ग का विजेता होता है।

टीम वर्ग में शीर्ष तीन राइडर के स्कोर को टीम के स्कोर में शामिल किया जाता है। भारतीय टीम के स्कोर में एड्रेनेलिन फिरफोड पर सवार दिव्यकृति, विपुल(चेमक्सप्रो एमरेल्ड) और अनुश (एट्रो) के स्कोर शामिल थे।
भारतीय टीम की सबसे युवा सदस्य 21 साल की सुदीप्ति ने कहा, ‘‘यहां स्वर्ण पदक जीतना अविश्वसनीय है। हमारे में से किसी के लिए भी सफर आसान नहीं रहा। हम सभी काफी कप उम्र में यूरोप चले गए थे।’’उन्होंने कहा, ‘‘हमने अपने परिवारों से दूर वर्षों तक कड़ी मेहनत की। हमने काफी बलिदान दिए।’’

सुदीप्ति ने कहा, ‘‘राष्ट्रगान बज रहा था और राष्ट्रीय ध्वज फहरा रहा था, इससे बेहतर अहसास कोई नहीं है। सभी इसी के लिए कड़ी मेहनत करते हैं और हमने अपने सपने को जिया। ड्रेसेज में भारत का पहला स्वर्ण पदक।’’
दिव्यकृति ने कहा कि उनकी उपलब्धि में उनके घोड़ों की अहम भूमिका रही।उन्होंने कहा, ‘‘हमारे घोड़ों की भी सराहना होनी चाहिए। उनके बिना हम कुछ भी नहीं हैं।’’दिव्यकृति ने कहा, ‘‘यह लंबा सफर रहा और आसान नहीं रहा। हमारे में से किसी ने भी इस बारे (स्वर्ण पदक जीतने) में नहीं सोचा था लेकिन हमने अपना शत प्रतिशत दिया और हमने कर दिखाया।’’(भाषा)

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