चैंपियंस लीग टी-20 के मैच डेयरडेविल्स दिल्ली, डेक्कन चार्जर्स हैदराबाद और रॉयल चैलेंजर्स बैंगलुरु के घरेलू मैदानों पर खेले जाएँगे। इन मैदानों के बारे में जानकारी-
फिरोज शाह कोटला स्टेडियम, नई दिल्ली
नाम: फिरोज शाह कोटला स्टेडियम
स्थान: दिल्ली जिला क्रिकेट संगठन, फिरोज शाह कोटला ग्राउंड, बहादुर शाह जफर मार्ग, नई दिल्ली।
स्थापना: 1883 फ्लड लाइट:
उपलब्ध छोर: स्टेडियम छोर, पैवेलियन छोर
घरेलू टीम: दिल्ली
स्वामित्व: दिल्ली जिला क्रिकेट संघ
पहला टेस्ट मैच: भारत बनाम वेस्टइंडीज (10-14 नवंबर, 1948)
पहला वन-डे अंतरराष्ट्रीय मैच : भारत बनाम श्रीलंका (15 सितंबर, 1982)
फिरोज शाह कोटला स्टेडियम का नामकरण दिल्ली के शासक फिरोज शाह तुगलक के नाम पर किया गया है। फिरोज शाह ने सन् 1351 से 1388 तक दिल्ली पर शासन किया था। आजादी के बाद पहला क्रिकेट मैच इसी स्टेडियम में नवंबर, 1948 में खेला गया था। यह जॉन गॉडर्ड के नेतृत्व में आई वेस्टइंडीज की टीम के साथ खेला गया था। इस मैदान पर दसवें विकेट के लिए रिकॉर्ड भागीदारी कारनामा दर्ज है। पाकिस्तान के खिलाफ 1952 में हेमु अधिकारी और गुलाम अहमद ने दसवें विकेट की साझेदारी करते हुए 109 रन बनाए, जो आज भी एक रिकॉर्ड है। सन् 1965 में अपना पहला टेस्ट मैच खेलते हुए एस. वेंकटराघवन ने यहाँ न्यूजीलैंड की पारी में 72 रन देकर 8 विकेट और दूसरी पारी में 80 रन देकर 4 विकेट चटखाए थे। टेस्ट मैच की एक ही पारी में 10 विकेट लेने का कारनामा भी यही हुआ। भारत के लेग स्पिनर अनिल कुंबले ने 1999 में पाकिस्तान के खिलाफ एक पारी में सभी दस विकेट लेकर यह कारनामा कर दिखाया था। फिरोजशाह कोटला मैदान के महत्वपूर्ण तथ्य- सबसे बड़ा टेस्ट स्कोर 1958-59 में वेस्टइंडीज ने भारत के विरुद्ध बनाया था, जो कि 8 विकेट पर 644 है। सबसे कम टेस्ट स्कोर 1987-88 में भारत ने वेस्टइंडीज के खिलाफ बनाया था, जो कि 75 रन है। वन-डे अन्तरराष्ट्रीय मैच का सबसे बड़ा स्कोर 2004-05 में पाकिस्तान ने 303 रन बनाया था। एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम बैंगलुरु ग्राउंड स्थिति : एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम, कर्नाटक राज्य क्रिकेट संगठन, महात्मा गाँधी मार्ग, बेंगलुरु स्थापना: 1969दर्शक क्षमता: 55000 पहला टेस्ट मैच- भारत वि. वेस्टइंडीज (22-27 नवंबर, 1974) पहला एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच- भारत वि. श्रीलंका (26 सितंबर, 1982)
मूल रूप से कर्नाटक राज्य क्रिकेट संगठन स्टेडियम के नाम वाले इस स्टेडियम का नामकरण कुछ वर्ष पहले एम.चिन्नास्वामी स्टेडियम किया गया। चिन्नास्वामी 1977 से 1980 तक भारतीय बोर्ड के अध्यक्ष थे। इसके साथ ही वे चार दशकों तक कर्नाटक संगठन के प्रशासन से भी जुडे़ रहे। स्टेडियम में 1974-75 से अंतरराष्ट्रीय मैच खेले जाने लगे। पहली बार इस मैदान पर भारत के साथ टेस्ट खेलने वाली टीम वेस्टइंडीज थी। हालाँकि इस समय तक स्टेडियम का निर्माण कार्य चल रहा था। इस मैच की मजेदार बात यह थी कि वेस्टइंडीज के दो महान खिलाड़ी विव रिचडर्स और गॉर्डर्न ग्रीनीज का पहला मैच था। इसके बाद यह स्टेडियम 1987 में सुनील गावस्कर की पाकिस्तान के खिलाफ खेली गई आतिशी पारी का गवाह बना। 1996
में भारत में हुए विश्वकप के दौरान स्टेडियम का एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएँ दी गईं। इस दौरान स्टेडियम में फ्लड लाइट लगाए गए, जिसकी रोशनी में भारत और पाकिस्तान अपने क्वार्टर फाइनल में एक-दूसरे से भिड़े और भारत ने इस मैच में यादगार जीत दर्ज की। दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और पाकिस्तान ने यहाँ पर अपने कई महत्वपूर्ण मैच जीते। दक्षिण अफ्रीका की 2000 में सिरीज की ऐतिहासिक जीत, माइकल क्लार्क के पहले मैच का रोमांचकारी सैकड़ा, भी इस स्टेडियम के इतिहास में दर्ज है।राजीव गाँधी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट ग्राउंड, हैराबाद स्थापना: 2004दर्शक क्षमता: 40000 पहला एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच- भारत वि. दक्षिण अफ्रीका (16 नवंबर2005)
हैदराबाद में एक बड़े और अंतरराष्ट्रीय सुविधायुक्त क्रिकेट स्टेडियम की जरूरत को देखते हुए 2004 में राजीव गाँधी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट ग्राउंड की स्थापना की गई। 40
हजार दर्शकों की बैठक व्यवस्था वाले इस स्टेडियम में पहला एकदिवसीय अंतराष्ट्रीय क्रिकेट मैच 16 नवंबर 2005 को भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच खेला गया।राज्य सरकार ने इस स्टेडियम का नामकरण भारत का पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गाँधी के नाम किया।