Shri radha devi radhika aarti : श्री कृष्ण की प्रिया राधा जी की 2 आरती प्रचलित हैं। पहली आरती राधाजी की कीजै और दूसरी आरति श्रीवृषभानुलली जी की। दोनों ही आरती बृज मंडल में प्रसिद्ध है। राधाजी का मुख्य स्थान बरसाना और वृंदावन धाम है। श्री राधा जी की आरती को राधा अष्टमी यानी राधाष्टमी पर विशेष रूप से गाया जाता है।
देवी राधिका आरती | Devi radhika ji ki aarti
आरति श्रीवृषभानुलली की। सत-चित-आनन्द कन्द-कली की॥
भयभन्जिनि भव-सागर-तारिणि, पाप-ताप-कलि-कल्मष-हारिणि,
दिव्यधाम गोलोक-विहारिणि, जनपालिनि जगजननि भली की॥
आरति श्रीवृषभानुलली की।
सत-चित-आनन्द कन्द-कली की॥
अखिल विश्व-आनन्द-विधायिनि, मंगलमयी सुमंगलदायिनि,
नन्दनन्दन-पदप्रेम प्रदायिनि, अमिय-राग-रस रंग-रली की॥
आरति श्रीवृषभानुलली की।
सत-चित-आनन्द कन्द-कली की॥
नित्यानन्दमयी आह्लादिनि, आनन्दघन-आनन्द-प्रसाधिनि,
रसमयि, रसमय-मन-उन्मादिनि, सरस कमलिनी कृष्ण-अली की॥
आरति श्रीवृषभानुलली की।
सत-चित-आनन्द कन्द-कली की॥
नित्य निकुन्जेश्वरि राजेश्वरि, परम प्रेमरूपा परमेश्वरि,
गोपिगणाश्रयि गोपिजनेश्वरि, विमल विचित्र भाव-अवली की॥
आरति श्रीवृषभानुलली की।
सत-चित-आनन्द कन्द-कली की॥