काठमांडू। नेपाल-भारत रिश्तों के लिए 2018 काफी अहम साल रहा। इस साल दोनों देशों के नेताओं की यात्राओं ने हाल के कुछ वर्षों में पनपे अविश्वास को खत्म करने में मदद की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत, नेपाल को कामयाबी की चोटियों पर पहुंचाने के लिए 'शेरपा' बनने के लिए तैयार है।
2015 में मधेसी आंदोलन के दौरान दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्तों में लंबे समय तक बनी रही असहजता के बाद अब भारत, नेपाल पर फिर अपनी पकड़ बना पाया है। उस समय भारतीय मूल के मधेसियों ने नेपाल की संसद में अपने लिए ज्यादा प्रतिनिधित्व और प्रांतीय सीमाओं के पुन: आरेखण की मांग करते हुए भारत-नेपाल सीमा बंद कर दी थी जिससे नेपाल की अर्थव्यवस्था और भारत के साथ उसके रिश्तों पर बुरा असर पड़ा था।
वर्ष 2018 में दोनों देशों के बीच रिश्तों में सुधार की पहली कोशिश फरवरी में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के नेपाल दौरे से हुई, जहां उन्होंने वाम गठबंधन के नेता केपी ओली के प्रधानमंत्री बनने से पहले उनसे मुलाकात की। कई वर्षों तक राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजरने के बाद दिसंबर 2017 में नेपाल में हुए चुनाव में वाम दलों को ऐतिहासिक जीत मिली और चीन समर्थित रुख के लिए जाने जाने वाले केपी ओली फरवरी में एक बार फिर प्रधानमंत्री बने। प्रधानमंत्री के तौर पर उनके पहले कार्यकाल में भारत के साथ नेपाल के रिश्तों में मधेसी आंदोलन की वजह से तनाव देखा गया था।
ओली ने उस समय भारत पर नेपाल के आंतरिक मामलों में कथित तौर पर हस्तक्षेप करने और सरकार पलटाने की कोशिश का आरोप लगाते हुए सार्वजनिक तौर भारत की आलोचना की थी। हालांकि चुनाव में जीत हासिल करने के बाद उन्होंने अपना रुख बदलते हुए कहा कि वे भारत के साथ बेहतर रिश्ते चाहते हैं। जीत के बाद ओली ने कहा कि वे भारत-नेपाल रिश्तों के सभी विशेष प्रावधानों की समीक्षा करने के पक्षधर हैं।
उन्होंने और विकल्पों की तलाश में चीन के साथ बेहतर संबंध और भारत से रिश्तों का लाभ उठाने की भी वकालत की थी। नेपाल में भारत का प्रभाव कम करने के लिए भारी निवेश करने वाले चीन ने ओली का यह रुख देख तुरंत नेपाल की नई सरकार को बधाई दी और कहा कि भारत, चीन और नेपाल को मिलकर काम करना चाहिए।
इसके बाद अप्रैल में नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली अप्रैल में 53 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ 3 दिन के भारत दौरे पर आए। इस दौरान उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच गलतफहमियों और अविश्वास को खत्म किया जाएगा। ओली के दौरे के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मई में नेपाल का दौरा किया। इस दौरान मोदी ने कहा कि नेपाल ने नए दौर में प्रवेश किया है और भारत उसे समर्थन जारी रखेगा। (वार्ता)