Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

साल 2016 : भारतीय महिलाओं ने दिखाया कमाल

हमें फॉलो करें साल 2016  : भारतीय महिलाओं ने दिखाया कमाल
, शुक्रवार, 30 दिसंबर 2016 (17:44 IST)
नई दिल्ली। भारतीय खेलों के लिए बीता साल उतार-चढ़ाव से भरा रहा जिसमें 3 महिलाओं ने जहां ओलंपिक में भारत की लाज रखी, वहीं क्रिकेट टीम ने विराट कोहली की अगुवाई में कामयाबी की नई परिभाषा गढ़ी जबकि प्रशासकों ने देश को शर्मसार करने में कोई कसर नहीं रख छोड़ी।
ओलंपिक में भारत का सबसे बड़ा दल उतरा था जिसमें 117 खिलाड़ी (63 पुरुष और 54 महिलाएं) शामिल थे। भारत की ख्वाहिश लंदन ओलंपिक 2012 के 6 पदकों की संख्या में इजाफा करने की थी और खेल मंत्रालय तथा साइ ने भी 10 पदक जीतने के दावे कर डाले।
 
ओलंपिक में हालांकि यह सपना पूरा नहीं हो सका और एक सप्ताह तक तो भारतीय खिलाड़ी पदक के आसपास भी नजर नहीं आए। निशानेबाज अभिनव बिंद्रा और जिम्नास्ट दीपा करमाकर अपने अपने वर्ग में चौथे स्थान पर रहे।
 
आखिर में साक्षी मलिक और पीवी सिंधू ने भारत को खाली हाथ लौटने से बचाया। साक्षी ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनी जिसने कांस्य पदक जीता। वहीं सिंधू ने बैडमिंटन में भारत को चांदी का तमगा दिलाया। दीपा ऐसे खेल में चौथे स्थान पर रही जिसे भारत में लोग अच्छे से समझते भी नहीं है। इन तीनों को संयुक्त रूप से देश के सर्वोच्च खेल सम्मान खेलरत्न से नवाजा गया।
 
भारत के लिए इस साल एक और बड़ी उपलब्धि 15 साल बाद जूनियर हॉकी विश्व कप जीतना रही। लखनऊ में साल के आखिर में खेले गए टूर्नामेंट में मेजबान ने बेल्जियम को 2-1 से पछाड़कर नया इतिहास रचा।
 
क्रिकेट के मैदान पर 2016 भारत के और खासकर कोहली तथा आर. अश्विन के नाम रहा। भारत टेस्ट क्रिकेट में लगातार 18 मैच में अजेय रहा, जो भारतीय टीम के लिए रिकॉर्ड है। कोहली ने जब कैप्टन कूल महेंद्र सिंह धोनी से कप्तानी संभाली तो आशंकाएं थीं कि जरूरत से ज्यादा जज्बाती कोहली क्या इस जिम्मेदारी को निभा पाएंगे? उन्होंने हालांकि हर कदम पर आलोचकों को गलत साबित किया। वनडे में धोनी की कप्तानी में भारत ने एशिया कप टी-20 खिताब जीता और विश्व कप में सेमीफाइनल तक पहुंचे।
 
भारतीय खेलों में प्रशासनिक गड़बड़झाला इस साल भी बदस्तूर जारी रहा। उच्चतम न्यायालय ने लोढ़ा समिति के मार्फत बीसीसीआई को प्रशासनिक ढांचे में सुधार की ताकीद की जिस पर 3 जनवरी को फैसला आना है। इसी साल भारत के शशांक मनोहर आईसीसी के चेयरमैन बने।
 
ओलंपिक में खेलमंत्री विजय गोयल ने प्रोटोकॉल तोड़कर भारत को शर्मसार किया जिन्हें स्थानीय आयोजन समिति से पहचान पत्र रद्द किए जाने की धमकी भी मिली। इस बीच आईओए भी दागी पूर्व प्रशासकों सुरेश कलमाड़ी और अभय सिंह चौटाला को आजीवन अध्यक्ष पद की पेशकश करके विवादों से घिरा रहा।
 
व्यक्तिगत खेलों की बात करें तो भारतीय गोल्फ के लिए यह साल अच्छा रहा और अदिति अशोक के रूप में उसे पहली महिला स्टार मिली। अदिति लेडीज यूरोपीय टूर में खिताब जीतने वाली पहली भारतीय बनी। सिंधू, साक्षी, अदिति और दीपा भारतीय खेलों में महिला सशक्तीकरण की पर्याय बनीं। तीरंदाजी में दुनिया की पूर्व नंबर एक खिलाड़ी दीपिका कुमारी ने निराश किया। तीरंदाज तमाम हाइप के बावजूद रियो में कोई कमाल नहीं कर सके।
 
ओलंपिक में भारत की सबसे प्रबल पदक उम्मीद माने जाने वाले निशानेबाजों ने निराश किया। बिंद्रा 10 मीटर एयर राइफल में चौथे स्थान पर रहे और भारत के लिए यही सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। जीतू राय (पिस्टल) और गगन नारंग (राइफल) नाकाम रहे। 
 
भारतीय टेनिस एक बार फिर बड़े खिलाड़ियों के अहम की लड़ाई का शिकार हुआ। व्यक्तिगत रूप से सर्किट पर उनका प्रदर्शन अच्छा रहा लेकिन रियो में एक टीम के रूप में वे फ्लॉप रहे। लिएंडर पेस, सानिया मिर्जा, रोहन बोपन्ना, साकेत माइनेनी और प्रार्थना थोंबरे रियो में एक टीम के रूप में कोई कमाल नहीं कर पाए। सानिया और बोपन्ना कांस्य पदक के प्लेऑफ तक पहुंचकर चूक गए। सानिया के लिए यह साल अच्छा रहा, जो महिला युगल में लगातार दूसरे सत्र में नंबर 1 रही।
 
हॉकी में भारतीय महिला टीम ने 36 साल बाद ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया लेकिन 12वें स्थान पर रही। पुरुष टीम भी मॉस्को ओलंपिक 1980 के बाद पहली बार नॉकआउट चरण तक पहुंची। पुरुष टीम ने चैंपियंस ट्रॉफी में रजत जीता जबकि महिला टीम ने एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी अपने नाम की। जूनियर टीम ने लखनऊ में विश्व कप जीता जबकि नरिंदर बत्रा एफआईएच के अध्यक्ष चुने गए।
 
मॉस्को ओलंपिक की स्वर्ण पदक विजेता टीम के सदस्य रहे मोहम्मद शाहिद को इस साल हॉकी जगत ने खो दिया। मुक्केबाजी में पिछले चार साल से महासंघ के बिना उतरे मुक्केबाजों ने रियो में निराश किया। खेल में प्रशासनिक अस्थिरता का दौर अब खत्म हो गया और 2017 में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है। विजेंदर सिंह ने पेशेवर मुक्केबाजी में अपना परचम लहराया।
 
भारतीय कुश्ती महासंघ और राष्ट्रीय डोपिंग निरोधक ने डोपिंग निरोधक प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ाते हुए रियो ओलंपिक से पहले नरसिंह यादव को क्लीन चिट दे दी लेकिन वाडा की अपील के बाद उसे खेलगांव से बिना खेले वापस भेज दिया गया। इस बीच दो बार के ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार ने रियो में नरसिंह की जगह उतरने के लिए अदालत की शरण ली लेकिन फैसला उनके खिलाफ रहा।
 
भारतीय बैडमिंटन के लिए यह साल अच्छा रहा जिसमें सिंधू ने ओलंपिक रजत पदक जीता। कोच पुलेला गोपीचंद आधुनिक युग के द्रोणाचार्य बने जिनके कोच रहते पिछली बार साइना नेहवाल ने कांस्य पदक जीता था। साइना चोट के कारण ओलंपिक में नाकाम रही।
 
एथलेटिक्स में ललिता बाबर 3000 मीटर स्टीपलचेस में 10वें स्थान पर रही। उसके अलावा किसी का प्रदर्शन ओलंपिक में उल्लेखनीय नहीं रहा। जूनियर वर्ग में भालाफेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने विश्व रिकॉर्ड बनाया। शॉटपुट में इंदरजीत सिंह और 200 मीटर दौड़ में धरमबीर सिंह डोप टेस्ट नहीं देने के कारण ओलंपिक में भाग नहीं ले सके।
 
फुटबॉल में बेंगलुरु एफसी एएफसी कप में उपविजेता रहा जबकि राष्ट्रीय टीम फीफा रैंकिंग में 6 बरस की सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग पर पहुंची। विश्व कप 2018 क्वालीफायर में टीम दूसरे चरण के आगे नहीं पहुंच सकी। (भाषा)
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

क्या है भीम एप, जानिए कैसे करेगा काम