गत वर्ष की अंतरराष्ट्रीय घटनाओं पर एक विहंगम दृष्टि

शरद सिंगी
नए वर्ष का सूर्य विश्व में अपनी लालिमा बिखेर चुका है। वर्ष 2016 कुछ खुशियां बिखेर गया तो कुछ जख्मों को कुरेद कर भी चला गया। वर्ष 2017 की झोली में क्या है वह तो समय बीतने के साथ मालूम पड़ेगा, किंतु मानव सभ्यता ने गत वर्ष में जो बोया है उसकी फसल तो इस वर्ष काटनी ही होगी। 'वेबदुनिया',  2016 की उन तमाम महत्वपूर्ण ख़बरों और उनके विश्लेषण से सुधि पाठकों को निरंतर अवगत कराता रहा है जो घटित तो अंतरराष्ट्रीय पटल पर हुईं किंतु उनका प्रभाव भारत सहित दुनिया के सभी देशों पर हुआ या होगा। हम एक बार पुनः उन महत्वपूर्ण घटनाओं पर एक नज़र डालते हैं जो नए वर्ष की दिशा को प्रभावित करेंगी। 
सर्वप्रथम तो अमेरिकी चुनावों में ट्रम्प की अप्रत्याशित जीत। अभी तक यह जीत न तो अमेरिकी प्रशासन के अफसरों को, न मीडिया को और न ही विश्व के अनेक देशों के गले उतर रही है। उनकी जीत को हम विस्तार से कवर कर चुके हैं। अभी तक के ट्रम्प के बयानों से और उनकी टीम के गैर राजनीतिक नए चेहरों से यह बात स्पष्ट हो चुकी है कि अमेरिकी राजनीति और कूटनीति में मूलभूत परिवर्तन आने वाला है। अंतरराष्ट्रीय कूटनीति का तापमान चढ़ चुका है और यह भी स्पष्ट हो गया है कि ट्रम्प, ओबामा की राह पर नहीं चलेंगे। इसलिए नए वर्ष में विश्व पटल पर कुछ नए वैश्विक समीकरण बनेगे और कुछ बिगड़ेंगे। 
 
दूसरी बड़ी खबर थी ब्रिटेन में जनमत संग्रह द्वारा यूरोपीय संघ से व्यवसायिक संबंधों का विच्छेद पर जनता द्वारा मुहर। इंग्लैंड के निकल जाने से यूरोप की आर्थिक क्षमता में भारी गिरावट दर्ज होने के अनुमान हैं। यद्यपि ब्रिटेन अभी तक बाहर निकलने का कोई सीधा और सरल मार्ग खोज नहीं पाया है, क्योंकि यह प्रक्रिया बहुत जटिल है। 
 
गत वर्ष में तीन देशों के तीन बुजुर्ग नेताओं ने दुनिया को अलविदा कहा जिन्होंने न केवल अपने देश को खड़ा करने में महत्पूर्ण भूमिका निभाई अपितु संसार की राजनीति में अपना बहुमूल्य योगदान दिया। क्यूबा के महान क्रांतिकारी  और विवादित नेता फिदेल कास्त्रों का 90 वर्ष की आयु में निधन हुआ। 
 
थाईलैंड ने भी अपने सम्मानित सम्राट अतुल्यतेज भूमिबोल को 88 वर्ष की आयु में खोया। इसराइल के संस्थापकों में से एक तथा यासिर अराफात के साथ नोबेल पुरस्कार के हिस्सेदार बने शिमोन पेरेस का 93 वर्ष की आयु में निधन हुआ। शिमोन के भारत सहित पूरी दुनिया के साथ अच्छे संबंध थे, साथ ही दुश्मन मुल्कों में भी उनका सम्मान था।     
यद्यपि ये तीनों ही राजनीति में सक्रिय नहीं थे, किंतु इन तीनो ही देशों में अपूरणीय क्षति हुई है जिसे भूलकर वहां की अवाम को आगे बढ़ना होगा। निश्चित ही अब इन देशों की दिशा में परिवर्तन होगा। फिदेल कास्त्रो एवं भूमिबोल पर हम अपने पाठकों को समय समय पर अवगत करा चुके हैं। 
 
यूं तो सत्ता परिवर्तन अनेक देशों में हुए, किंतु फिलीपींस के सत्ता परिवर्तन से देश की राजनीति में आमूल परिवर्तन आया और साथ ही उसने विश्व की राजनीति को भी प्रभावित किया। यहां के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति रोड्रिगो, किसी की परवाह किये बगैर धड़ाधड़ ड्रग माफिया के सदस्यो को गोली से उड़ाने में लगे हैं और अपने चुनावों के छ: महीने के भीतर लगभग छ: हजार लोगों की हत्या कर चुके हैं। साथ ही कूटनीति का ढंग उनका निराला है। 
 
चीन के डर से अमेरिका की खोली में बैठने वाला यह देश अब चीन के संरक्षण में जाने को उद्यत दिखता है। दक्षिण एशिया में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ जब म्यांमार में दशकों के सैनिक शासन का अंत हुआ और सु ची के दल की नागरिक सरकार बनी। यह प्रजातांत्रिक सरकार दक्षिण एशिया की राजनीति को प्रभावित करेगी। 
 
तुर्की में विवादित नेता एरडोगन के विरुद्ध सैनिको की तख्ता पलट कोशिश असफल रही और ख़बरों के अनुसार चालीस हज़ार से अधिक लोगों को जेलों में ठूंस दिया गया है। इस असफल प्रयास ने एरडोगन को और मज़बूत किया है और वे निरंकुश तानाशाह बनने की ओर अग्रसर हो चुके हैं। 
 
गत वर्ष में प्रजातांत्रिक देशों के दो शक्तिशाली महिला राष्ट्रपतियों को बड़े बेइज्जत होकर अपने पद से हाथ धोना पड़ा जब भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते संसद में उन पर महाअभियोग चलाया गया। एक थीं ब्राज़ील की महिला राष्ट्रपति डिल्मा रूसेफ और दूसरी दक्षिण कोरिया की राष्ट्रपति पार्क गीयून। ये दोनों ही घटनाएं नए वर्ष में विश्व के समीकरणों को प्रभावित करेंगी। 
 
गत वर्ष में विश्व, सीरिया की समस्या से जूझता रहा। मध्यपूर्व में हिंसा का तांडव जारी रहा। रूस के भी इस रक्तरंजित अखाड़े में कूद जाने के बाद समस्या और भी उलझ गई। उजला पक्ष यही रहा कि इसिस को अलेप्पो सहित कई जगहों से धकेल दिया गया है और उसकी ताकत निरंतर क्षीण हो रही है। शरणार्थी समस्या जस की तस बनी रही। नए वर्ष में भी इस समस्या के हल की उम्मीद नज़र नहीं आ रही। 
 
सीरिया का पुनर्निर्माण होगा तभी मध्य-पूर्व की इस गंभीर समस्या का कुछ हल निकलेगा। उत्तरी कोरिया ने इस वर्ष एक परमाणु बम और एक हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया। इस बिगड़ैल राष्ट्र के गले में घंटी डालने का उपाय किसी के पास नहीं है और इस वर्ष भी इसकी कारस्तानियां जारी रहेगी, ऐसा अनुमान है। 
 
पिछले वर्ष भारत में दो महत्वपूर्ण घटनाएं हुईं जिन्हें विश्व में स्थान मिला। सर्जिकल स्ट्राइक और नोटबंदी। यद्यपि इनके प्रभाव का दायरा राष्ट्रीय ही रहा अंतरराष्ट्रीय नहीं जिन पर हम पहले ही व्याख्या कर चुके हैं। अगले अंक में हम 2017 में होने वाली उन महत्वपूर्ण घटनाओं का भी विश्लेषण करेंगे जिनकी तारीखें तय हो चुकी हैं। 
 
इन घटनाओं से भारत पर होने वाले प्रभावों पर हमारी निगाहें निरंतर बनी रहेंगी। उम्मीद तो यही करें कि होने वाली इन घटनाओं का प्रभाव भारत और विश्व में सकारात्मक हो। इसी कामना के साथ नव वर्ष की अनेकानेक शुभकामनाएं।
Show comments

जरूर पढ़ें

Exit Poll : वोटिंग खत्म होने के बाद RSS मुख्यालय पहुंचे देवेंद्र फडणवीस, मोहन भागवत से की मुलाकात

Exit Poll 2024 : झारखंड में खिलेगा कमल या फिर एक बार सोरेन सरकार

महाराष्ट्र में महायुति या एमवीए? Exit Poll के बाद बढ़ा असमंजस

महाराष्‍ट्र बिटकॉइन मामले में एक्शन में ईडी, गौरव मेहता के ठिकानों पर छापेमारी

BJP महासचिव विनोद तावड़े से पहले नोट फॉर वोट कांड में फंसे राजनेता

सभी देखें

नवीनतम

Manipur Violence : मणिपुर के हालात को लेकर कांग्रेस ने किया यह दावा

Adani Group की कंपनियों को भारी नुकसान, Market Cap में आई 2.19 लाख करोड़ की गिरावट

Russia-Ukraine war : ICBM हमले पर चुप रहो, प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रही रूसी प्रवक्ता को आया पुतिन का फोन

Russia Ukraine War भयानक स्थिति में, ICBM से मचेगी तबाही, पुतिन के दांव से पस्त जेलेंस्की

By election results 2024: लोकसभा और विधानसभा उपचुनाव परिणाम

अगला लेख
More