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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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स्मृति शेष : अर्जुनसिंह

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अर्जुनसिंह अपने राजनीतिक जीवन के पूर्वार्द्ध में समाजवादी चिंतन और समतावादी विचारों से प्रभावित थे। 1956 में मप्र के निर्माण के बाद जब नवगठित राज्य में 1957 में पहले विधानसभा चुनाव हुए तब वे निर्दलीय के रूप में चुनाव जीते। तीन बार मप्र के मुख्यमंत्री रहे अर्जुनसिंह का जन्म 5 नवंबर, 1930 को सीधी में हुआ। इलाहाबाद और आगरा में अध्ययन कर वे बीए-एलएलबी हुए। अर्जुनसिंह 1960 से कांग्रेस से जुड़े।

सांसद बनने के बाद केंद्रीय सरकार में अनेक मंत्रालयों को संभाला। 1985 में राजीव-लोंगोवाल समझौते के वे सूत्रधार रहे। मप्र में झुग्गीवासियों को मालिकाना हक दिलाने में उनकी भूमिका याद की जाती है। जाति आधारित (आरक्षण) राजनीति की वकालत, चुरहट लॉटरी कांड, भोपाल गैस कांड के लिए उनकी आलोचना भी हुई। गत वर्षों में कांग्रेस उनके प्रति उदास हो चली थी जिससे वे दुःखी थे। उनका 4 मार्च, 2011 को निधन हुआ।

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