84 महादेव : श्री राजस्थलेश्वर महादेव(74)

Webdunia
काफी वर्ष पूर्व पृथ्वी पर कोई राजा नहीं बचा था। ब्रह्मा को चिंता हुई राजा नहीं हुआ तो प्रजापालन कौन करेगा। यज्ञ, हवन, धर्म की रक्षा कौन करेगा। इस दौरान उन्होंने राजा रिपुंजय को तपस्या करते देखा और उससे कहा कि राजा अब तपस्या त्याग कर प्रजा का पालन करो। सभी देवता तुम्हारे वश में रहेंगे और तुम पृथ्वी पर राज करोगे। राजा ने ब्रह्मा की आज्ञा मानकर सभी देवतओं को स्वर्ग में राज करने के लिए भेज दिया और स्वयं पृथ्वी पर शासन करने लगा। राजा के प्रताप को देख इंद्र को ईर्ष्या हुई और उसने वृष्टि बंद कर दी, तब राजा ने वायु का रूप धर इसका निवारण किया। इंद्र ने अग्नि का रूप लेकर यज्ञ, हवन प्रारंभ कर दिए। एक बार भगवान शंकर माता पार्वती के साथ भ्रमण करते हुए अंवतिका नगरी पहुंचे। राजा रिपुंजय ने उनकी आराधना कर उनसे वरदान में राजस्थलेश्वर के रूप में वहीं निवास करने की इच्छा प्रकट की। 
राजा की भक्ति से प्रसन्न होकर शिव ने उसे वरदान दे दिया। तभी से भगवान शंकर राजस्थलेश्वर महादेव के रूप में अंवतिका नगरी में विराजित हैं ।

मान्यता है कि जो भी मनुष्य राजस्थलेश्वर महादेव का पूजन करता है उसके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं और उसके शत्रु का नाश होता है। उसके वंश में वृद्धि होती है तथा मनुष्य पृथ्वी पर सभी सुखों का भोग कर अंतकाल में परमगति को प्राप्त करता है। इनका मंदिर भागसीपुरा में आनंद भैरव के समीप गली में स्थित है। 

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Hartalika teej: हरतालिका तीज व्रत का पौराणिक महत्व और कथा

Bhadrapada Month : हिंदू कैलेंडर के छठे माह भाद्रपद मास का महत्व

Shani Gochar: 30 वर्षों के बाद समसप्तक योग बनने से इन राशियों को होगा जबरदस्त लाभ, सूर्य-शनि की बरसेगी कृपा

Puja niyam : पूजा घर में दीपक किस तरह से जलाएं कि घर में हो धन की बरसात?

Bhadrapad Vrat Tyohar 2024: भाद्रपद माह के खास व्रत-त्योहार, यहां देखिए लिस्ट एकसाथ

सभी देखें

धर्म संसार

23 अगस्त 2024 : आपका जन्मदिन

23 अगस्त 2024, शुक्रवार के शुभ मुहूर्त

अजा एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा? जानिए इसके फायदे

शनि त्रयोदशी का व्रत कब रखा जाएगा, क्या है इसका महत्व?

श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर करें ये 10 अचूक उपाय, हर तरह के संकटों से मुक्ति पाएं

More