एक बार ब्रह्मा ने ध्यान किया उससे कल्पवृक्ष उत्पन्न हुआ। उसके नीचे एक पुरुष आराम कर रहा था। ब्रह्मा आए और उसे बिल्व दिया। ब्रह्मा के जाने के बाद इंद्र वहां आए और उसे पृथ्वी पर राज करने के लिए कहा। बिल्व प्राप्त पुरुष ने कहा, इंद्र का वज्र मिले तो वह पृथ्वी पर राज करेगा। इंद्र ने उससे कहा कि जब भी तुम वज्र का स्मरण करोगे वज्र तुम्हारे पास आ जाएगा । इसके बाद उस पुरुष का नाम ही बिल्व हो गया। बिल्व पृथ्वी पर राज करने लगा। कपिल मुनि व राजा बिल्व में मित्रता हो गई। एक बार धर्मवार्ता के दौरान दोनों झगड़ने लगे। बिल्व ने भगवान विष्णु की उपासना कर वरदान मांगा कि कपिल उससे डरे। वरदान देकर विष्णु कपिल मुनि के पास गए।
उनसे कहा कि वह बिल्व से कहें वह उससे डरते हैं। कपिल मुनि ने मना कर दिया। बिल्व प्रलाप करने लगा, कपिल उससे डरते नहीं है यह देख इंद्र ने कहा, बिल्व तुम महाकाल वन में पश्चिम दिशा में स्थित शिवलिंग के दर्शन करो इससे तुम्हें विजय प्राप्त होगी।
बिल्व महाकाल वन में आया ओर यहां आकर उसने शिव के दर्शन कर पूजन किया इस बीच कपिल मुनि वहां पहुंचे उन्होंने देखा बिल्व के शरीर में शिव है तो उन्होंने बिल्व से कहा, तुमने मुझे जीत लिया। मैं अपनी हार मानता हूं। राजा बिल्व के दर्शन-पूजन के कारण शिवलिंग बिल्वेश्वर महादेव के नाम से विख्यात हुआ। मान्यता है कि जो मनुष्य बिल्वेश्वर शिवलिंग के दर्शन करेगा। वह सभी पापों से मुक्त होगा। अंतकाल में शिवलोक को प्राप्त करेगा। यह मंदिर अंबोदिया गांव में है।