भविष्य की शिक्षा AI आधारित होगी, रोबोट करेंगे शिक्षकों को रिप्लेस
स्वतंत्रता के बाद शिक्षा में भी कई तरह के बदलाव देखने को मिले हैं। सरकारी स्कूलों की टाट-पट्टियों से ऊपर उठकर शिक्षा अब आर्टीफीशियल इंटेलीजेंस (AI) के दौर में पहुंच गई है। भविष्य की शिक्षा भी एआई आधारित होगी और संभव है कि रोबोट शिक्षकों को रिप्लेस कर दें। डिजिटलाइजेशन के दौर में शिक्षा नए-नए प्रयोगों के दौर से गुजर रही है।
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति नरेन्द्र कुमार धाकड़ ने स्वतंत्रता के पश्चात शिक्षा में आए बदलावों पर वेबदुनिया से चर्चा करते हुए कहा कि पूर्व में शिक्षा मंदिरों, आश्रमों, गुरुकुलों के माध्यम से दी जाती थी। पुरोहित, पंडित और संन्यासी शिक्षा प्रदान करने का काम करते थे। प्राचीन शिक्षा पद्धति में औपचारिक एवं अनौपचारिक शिक्षा का विभिन्न धर्मसूत्रों में उल्लेख मिलता है। उस दौर में बच्चे की शिक्षा की शुरुआत परिवार से हो जाती थी।
ऑटोनॉमस होंगे कॉलेज : शिक्षा के क्षेत्र में भविष्य की चुनौतियों और संभावनाओं के विषय में नरेन्द्र कुमार धाकड़ कहते हैं कि आने वाले समय में कॉलेज ऑटोनॉमस होंगे, यूनिवर्सिटी का क्षेत्र और छोटा हो जाएगा। कॉलेज खुद परीक्षा ले सकेंगे। इंदौर की ही बात करें तो अब करीब 15 यूनिवर्सिटी हैं, जबकि किसी समय देवी अहिल्या विश्वविद्यालय एकमात्र यूनिवर्सिटी हुआ करता था। आज के दौर में रोजगारमूलक शिक्षा की जरूरत है ताकि ज्यादा से ज्यादा युवाओं को रोजगार हासिल हो सके।
शोध की कमी : भारत में शोध की कमी से जुड़े सवाल पर जैन दिवाकर महाविद्यालय के डायरेक्टर धाकड़ ने कहा कि भारत में शोधार्थियों के पैसा नहीं मिलता, जबकि विदेशों में शोधार्थियों को इंडस्ट्री से पैसा मिलता है। अत: शोध को बढ़ावा देना है तो शोधार्थियों को साधन और सुविधाएं उपलब्ध करवाना होंगी।
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