भोपाल। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व हिन्दी सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि हिन्दी की ताकत मुझसे ज्यादा कोई नहीं जानता। मैंने बचपन में चाय बेचते-बेचते हिन्दी सीखी है।
मोदी ने कहा कि किसी चीज की अहमियत तभी पता चलती है, जब वह नहीं रहती। हिन्दी भाषा के मामले में ऐसा नहीं होना चाहिए। उन्हों ने कहा कि 90 फीसदी भाषाओं के लुप्त होने का खतरा है। अगर हम हमारी भाषा को समृद्ध नहीं बना सके तो हिन्दी पर भी यही खतरा आ जाएगा।
उन्होंने बताया कि गुजरात में उत्तर प्रदेश के पशुपालक दूध लेकर ट्रेन से आते थे, मैं उनके लिए चाय लेकर जाता था। इसी क्रम में मैंने हिन्दी सीखी।
मोदी ने चीन, मंगोलिया, मॉरीशस आदि देशों की अपनी यात्रा के कुछ संस्मरण बताते हुए यह जताया कि हिन्दी पूरी दुनिया में अपनी छाप छोड़ रही है और अहमियत बढ़ा रही है।