मृगी मुद्रा। मृग हिरन को कहा जाता है। यज्ञ के दौरान होम की जाने वाली सामग्री को इसी मुद्रा में होम किया जाता है। प्राणायाम किए जाने के दौरान भी इस मुद्रा का उपयोग होता है। ध्यान करते वक्त भी इस मुद्रा का इस्तेमाल किया जाता है। यह मुद्रा बनाते वक्त हाथ की आकृति मृग के सिर के समान हो जाती है इसीलिए इसे मृगी मुद्रा (Mrigi mudra yoga) कहा जाता है। यह एक हस्त मुद्रा है।