Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

माही वे...इसे कहते हैं लीडर

हमें फॉलो करें माही वे...इसे कहते हैं लीडर
ND

भारतीय क्रिकेट टीम को 28 वर्षों बाद विश्वकप दिलाने में कई खिलाड़ियों का अहम योगदान रहा है। महेन्द्र सिंह धोनी भले ही बल्ले से आशातीत सफलता नहीं पा सके, लेकिन अपनी नेतृ्त्व क्षमता के जरिये उन्होंने भारतीय टीम को ऐसी इकाई में परिवर्तित कर दिया था, जिसने स्पर्धा में ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान तथा श्रीलंका जैसी धाकड़ टीमों के इरादों पर पानी फेरते हुए मंजिल को हासिल किया। आइए नजर डालें धोनी के उन विशिष्ट गुणों पर जिनके जरिए टीम इंडिया ने विश्वकप का रास्ता तय किया।

1. एक सूत्र में बाँधा : विश्वकप से पहले ही यह कहकर खिलाड़ियों को एक सूत्र में बाँध दिया था कि यह टीम विश्वकप सचिन तेंडुलकर के लिए जीतना चाहती है।

2. साहसिक निर्णय : कुशल नेतृत्व क्षमता एवं साहसपूर्ण निर्णय से सभी को प्रभावित किया।

3. बयानबाजी से बचे : विशेष रणनीति के तहत अपने खिलाड़ियों को मीडिया से ज्यादा नजदीकियाँ नहीं बनाने दी और स्वयं भी बयानबाजी से दूर ही रहे।

4. रणनीति : कोच गैरी कर्स्टन के साथ विशेष प्लान ‍तैयार किया था, जिसे यथा संभव लागू करने का प्रयास किया।

5. मानसिक दृढ़ता : स्वयं का प्रदर्शन अच्छा नहीं चल रहा था लेकिन मानसिक दृढ़ता के साथ खिलाड़ियों को एक साथ बाँधे रखकर बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रेरित किया।

6. रैना को दिया मौका : ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ यूसुफ पठान की जगह सुरेश रैना पर भरोसा किया और रैना ने युवराज के साथ मैच विजयी साझेदारी की।

7. नेहरा पर खेला दाँव : पाकिस्तान के खिलाफ महत्वपूर्ण मैच में अश्विन की जगह नेहरा को टीम में शामिल किया और नेहरा सबसे किफायती गेंदबाज साबित हुए

8 . निभाई जिम्मेदारी : फाइनल में अश्विन के बजाय श्रीसंथ को मौका देना और फिर फॉर्म में चल रहे युवराज की जगह स्वयं बल्लेबाजी के लिए उतरना।

9. लक्ष्य पर निगाहें : फाइनल में अर्धशतक बनाने के बावजूद ज्यादा खुशी नहीं दिखाई, क्योंकि उनका लक्ष्य तो सिर्फ विश्वकप था।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi