पुराणों में लिखा है कि ज्ञान, कर्म, ध्यान, योग, तप आदि सभी कलयुग में व्यर्थ सिद्ध होंगे परंतु राम नाम का जप ही लोगों को भवसागर से पार ले जाने वाला हैं।
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एक बार राम कहा तो संबोधन हुआ। राजस्थान में कहते हैं राम सा।
दो बार राम कहा तो अभिवादन हुआ। उत्तर भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में कहते हैं राम राम।
तीन बार राम कहा तो संवेदना हुई। जैसे 'ये क्या हुआ राम राम राम।'
चार बार राम कहा तो भजन हुआ। श्री राम, राम, राम, राम।
आपके सारे दुःख हरने वाला सिर्फ एकमात्र नाम है- 'हे राम।'
राम का उल्टा होता है म, अ, र अर्थात मार। वाल्मीकि जी मरा मरा जपकर भी ज्ञानी बन गए थे।
राम नाम जपने से मन में शांति मिलती है और मस्तिष्क में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
राम सेतु बनाते समय पत्थरों पर राम का नाम लिखने से वे तैरने लगे थे।
कहते हैं कि बलशालियों में सर्वाधिक बलशाली राम है, लेकिन राम से भी बढ़कर श्री राम जी का नाम है।
मृत्यु के बाद आंखों के सामने अंधेरा जब छा जाएगा तब यदि राम का नाम कमाया है तो वही दीप बनकर जलेगा और तुम्हें रास्ता दिखाएगा।