अयोध्या में राम मंदिर करीब करीब बनकर तैयार है, जानिए जन्मभूमि मंदिर से जुड़े रोचक तथ्य
राम मंदिर की हर एक ईंटों पर लिखा है राम का नाम। इन पुरानी ईंटों को राम शिला भी कहते हैं। चांदी की ईंटों का उपयोग भी हुआ है।
मंदिर से कुछ दूरी पर भूमि में टाइम कैप्सूल दबाया है जिससे कि यदि सालों बाद मंदिर के बारे में जानकारी लेना हो तो ली जा सकती है।
मंदिर का निर्माण प्राचीन पद्धति से किया गया है जिसमें स्टील या लोहे का इस्तेमाल नहीं किया गया है।
मंदिर की मूर्तियों के लिए निर्माण के लिए नेपाल की गंडक नदी से करीब 6 करोड़ साल पुरानी शालिग्राम शिला का उपयोग किया गया है।
राम मंदिर नींव में 2587 पवित्र क्षेत्र की मिट्टी का उपयोग किया गया है और 150 पवित्र नदियों का पानी लाया गया है।
57400 स्क्वेयर फीट के एरिए में बने मंदिर की लंबाई 360, चौड़ाई 235, ऊंचाई 161 फीट है, तल 3, मुख्य द्वार सहित 44 द्वार, 392 स्तंभ हैं।
मंदिर परम्परागत नागर शैली में वास्तु के अनुसार बनाया जा रहा है। सोमपुरा आर्किटेक्ट ने मंदिर का डिजाइन बनाया है।
एक बार में सिर्फ मंदिर भवन में 10 हजार से अधिक श्रद्धालु समाहित होकर रामलला के दर्शन कर पाएंगे।
मंदिर में प्रवेश पूर्व दिशा से, 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार से होगा।
कर्नाटक की अंजनी नामक पहाड़ी जहां पर हनुमानजी का जन्म स्थान है वहां से पत्थर लाकर मंदिर निर्माण में उपयोग किया है।
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