बिहार की राजनीति के इर्दगिर्द बुनी गई वेबसीरिज 'महारानी' के सीज़न एक में बताया गया था कि कैसे एक अनपढ़ और गंवार महिला अपने पति की जगह मजबूरीवश मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालती है और फिर राजनीति के अखाड़े में बड़े खिलाड़ियों की छुट्टी कर देती है। इस सीरिज का दूसरा सीज़न आ गया है।
राजनीति के इर्दगिर्द हम कई फिल्में और शोज़ देख चुके हैं, लेकिन जिनकी राजनीति दांवपेंच और षड्यंत्रों में रूचि है उन्हें 'महारानी ' का दूसरा सीज़न भी पसंद आएगा। पहले सीज़न की तरह दूसरे सीज़न में भी दस एपिसोड हैं और मेकर्स ने अपनी बात कहने में खासा समय लिया है।
रानी अपने पति के लिए कुर्सी खाली करने से इंकार करती है तो दूसरी ओर विरोधी पार्टी तथा खुद की पार्टी के विरोधी रानी को कमजोर करने की कोशिश में जाल बिछाते हैं, कानून व्यवस्था बिगाड़ते हैं, लोगों को भड़काते हैं और रानी इनसे मुकाबला करती है। सीज़न 2 के अंत में सीज़न तीन की गुंजाइश छोड़ी गई है।
महारानी की स्क्रिप्ट में कुछ कमियां हैं, लेकिन इसके बावजूद सीरिज देखने में मन लगा रहता है, यही इसकी सबसे बड़ी खूबी है। कुछ किरदार और प्रसंग महज लंबाई बढ़ाते हैं।
हुमा कुरैशी, सोहम शाह, अमित सयाल, विनीत कुमार, कनी कुश्रुति अपनी-अपनी भूमिकाओं में सहज हैं। महारानी का पहला सीज़न आपने पसंद किया है तो दूसरा भी अच्छा लगेगा, लेकिन जो सीधे दूसरा सीज़न देखना चाहते हैं उन्हें कई बातें पल्ले नहीं पड़ेगी।