कानपुर। बचपन की यादें जहां से जुड़ी होती हैं, वहां से प्रेम कभी भी समाप्त नहीं होता है। भले ही रोजगार की तलाश में आप कितनी दूर चले जाएं, लेकिन आप अपने शहर को और वहां की यादों को भुला नहीं पाते हैं और ऐसे में जब हमारे जन्मभूमि के लोगों को पर संकट आ जाए तो मन अपनों की तरफ दौड़ने लगता है।
ऐसा ही एक वाकया उस वक्त देखने को मिली जब यूएसए में रहकर कुछ युवती को जब कानपुर में फैले संक्रमण से हो रही मौतों ऑक्सीजन की कमी की बारे में जानकारी हुई तो उनका प्रेम उन्हें अपनों के पास खींचने लगा और दो डॉक्टर बहनों से रहा नहीं गया और उन्होंने ऑक्सीजन की कमी को थोड़ा दूर करने के लिए जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, कानपुर की मदद करने की ठान ली और अमेरिका से हैलट अस्पताल को 10 बाइपैप मशीनें दान की हैं। बाईपैप मशीनें वेंटिलेटर की तरह ही काम करती हैं। इनसे गंभीर रोगियों की जान बचाई जा सकेगी।
अपनों की परेशानी नहीं देख सकीं डॉक्टर बहनें : किदवई नगर के डेंटल सर्जन डॉ. आरबी जैन की बेटियां डॉ. मिली जैन और डॉ. जूही जैन अमेरिका (यूएसए) में रहती हैं और दोनों बहने वहां की एक संस्था से जुड़ी हुई हैं और फिजिशियन के तौर पर कार्यरत हैं।
डॉ. मिली जैन फिजिशियन और डॉ. जूही जैन मधुमेह रोग विशेषज्ञ हैं। कुछ दिन पूर्व उनके पिता डॉक्टर आरबी जैन कोरोना संक्रमण से संक्रमित हो गए थे, जिनका इलाज कानपुर के हैलट में चल रहा था। इस दौरान दोनों बहनों का संपर्क लगातार अपने पिता व वहां के डॉक्टरों से होता रहता था। उनके पिता का संक्रमण ठीक होने के बाद उन्हें पूरे प्रोटोकॉल के साथ घर भेज दिया गया।
इस दौरान उनके पिता और डॉक्टरों से कानपुर के हालात की जानकारी जब दोनों बहनों को मिली तो बहनों से रहा नहीं गया और उन्होंने इसके लिए अपने साथ पढ़ने वाले डॉक्टर डॉ. प्रज्ञनेश कुमार से बातचीत कर मदद की बात कही और फिर दोनों बहनों ने अमेरिका से ऑनलाइन ऑर्डर करते हुए जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज से संबद्ध हैलट अस्पताल को 10 बाइपैप मशीनें दान की हैं।
बाईपैप मशीनें वेंटिलेटर की तरह ही काम करती हैं। मशीन कानपुर मेडिकल कॉलेज पहुंच भी गई हैं। वहीं 10 बाइपैप मशीन प्राप्त होने की पुष्टि करते हुए जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो. आरबी कमल व हैलट अस्पताल की प्रमुख अधीक्षक डॉ. ज्योति सक्सेना व अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रज्ञनेश कुमार ने बाइपैप मशीनें प्राप्त कर कोविड अस्पताल को भेज दीं।
मदद के लिए बढ़ने लगे हाथ : भारत में तेजी से बढ़ रहा है संक्रमण की जानकारी होने के बाद भारतीय मूल के विदेश में रह रहे भारतीयों का प्रेम अब अपनों के लिए जागने लगा है और लोग इस संकट की घड़ी में अपनों की है सुरक्षा करने के लिए बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।
अस्पतालों की लचर व्यवस्था से आहत भारतवंशीयों ने मदद के लिए हाथ बढ़ाने शुरू कर दिए हैं। विदेश रहने वाले शहरवासी अब ऑक्सीजन और अन्य मेडिकल उपकरणों की कमी दूर करने के लिए भी सहयोग कर रहे हैं।