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क्‍या है NGO की विदेशी फंडिंग पर लगाम लगाने वाला FCRA और इस वक्‍त क्‍यों है चर्चा में?

हमें फॉलो करें क्‍या है NGO की विदेशी फंडिंग पर लगाम लगाने वाला FCRA और इस वक्‍त क्‍यों है चर्चा में?
, शुक्रवार, 21 जनवरी 2022 (12:53 IST)
दुनिया में एनजीओ की मदद से कई अच्‍छे काम हो रहे हैं, लेकिन इसकी आड़ में कई लोग पैसा कमाने का काम भी करते हैं। कुछ साल पहले सरकार ने कई एनजीओ पर लगाम लगाई थी और उनके रजिस्‍ट्रेशन खत्‍म किए थे, इस बार एनजीओ को कंट्रोल करने की वजह से एफसीआरए FCRA काफी चर्चा में है। दरअसल, FCRA ने कई एनजीओ के लाइसेंसों पर रोक लगाई है।

जानते हैं कि क्या FCRA है और एनजीओ को मिलने वाली विदेशी फंडिंग से इसका क्या संबंध हैं।

हाल ही में एफसीआरए की ओर से कई एनजीओ के रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिए गए थे, जिसके बाद से मामला चर्चा में है और अब मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। यानी अब किसी अमेरिकी एनजीओ की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट भारत के एफसीआरए को लेकर सुनवाई  के लिए तैयार हो गया है।

क्‍या है मामला?
गृह मंत्रालय ने फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेग्युलेशन एक्ट के तहत गैर सरकारी संगठनों यानी एनजीओ के रजिस्ट्रेशन रिन्यू ना करने का फैसला किया था। यानी जिस एफसीआरए की ऊपर चर्चा की गई है, वो एक तरह से कानून है।
इस कानून के अधीन ही एनजीओ को लाइसेंस मिलता है और उसके बाद ही वे विदेश से फंड हासिल कर सकते हैं।

हालांकि, केंद्र ने कुछ एनजीओ को जारी पंजीकरण प्रमाणपत्रों की वैधता को 31 मार्च 2022 तक या उनके नवीनीकरण संबंधी आवेदन के निपटान की तारीख तक बढ़ाने का फैसला किया था। मगर कुछ एनजीओ को राहत नहीं मिली थी।

अब इस मामले में करीब 6000 एनजीओ के रजिस्ट्रेशन रद्द करने को लेकर सरकार के खिलाफ एक याचिका दायर की गई है। ये याचिका अमेरिकी ऑर्गेनाइजेशन ग्लोबल फीस इनिशियेटिव ने दायर की है और अब सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर सुनवाई करने के लिए तैयार हो गया है।

बता दें कि जिस संगठन ने याचिका दायर की है, उसने चक्रवात से प्रभावित लोगों के बचाव और पुनर्वास के लिए कई एनजीओ के साथ मिलकर काम किया है और हैदराबाद में 1100 एकड़ की जगह पर दुनिया का सबसे बड़ा अनाथालय भी इस संगठन की ओर से चलाया जाता है।

इस याचिका में तर्क दिया है कि जब से सरकार ने लाइसेंस रद्द किए हैं या उन्हें रिन्यू नहीं किए हैं, तब से कोविड राहत कार्यों में बाधा उत्पन्न हुई है। साथ ही उन्होंने दलीलें भी दी हैं कि किस तरह एनजीओ महामारी के वक्त में लोगों की मदद कर रहे हैं।

कब दर्ज हुई थी याचिका?
बता दें यह याचिका 4 जनवरी को दर्ज की थी। इन एनजीओ में मिशनरीज़ ऑफ़ चैरिटी का नाम भी शामिल है और यह एक धार्मिक गैर सरकारी संस्था है जिसे 1950 में समाजसेवी मदर टेरेसा ने स्थापित किया था।

FCRA रजिस्ट्रेशन क्‍या है?
एफसीआरए रजिस्ट्रेशन क्या है। एफसीआरए का पूरा नाम फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेग्युलेशन एक्ट है। इसे साल 1976 में बनाया गया था और बाद में इसके नियमों में संशोधन भी किया गया है। एफसीआरए के जरिए विदेशों से मिलने वाले दान को नियंत्रित किया जाता है, ताकि इससे देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए किसी तरह की चुनौती न पैदा हो। एफसीआरए विदेशी दान लेने वाले सभी संगठनों, समूहों और गैर-सरकारी संस्थाओं पर लागू होता है।

इसलिए जब भी कोई संगठन विदेश से फंड मंगाता है तो उसे एफसीआरए से रजिस्टर करवाना होता है और उसके बाद ही वो विदेश से ट्रांजेक्शन कर सकते हैं। यह रजिस्ट्रेशन पांच साल का होता है और इसे रिन्यू करवाना होता है।

क्‍या है FCRA  के नि‍यम
एफसीआरए से रजिस्ट्रेशन को लेकर कई नियम होते हैं। इसमें रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद संस्थाएं कई सामाजिक या सांस्कृतिक कार्यों के लिए विदेश से फंड ले सकते हैं। हालांकि, इसके साथ ही उन्हें कई नियमों का पालन भी करना होता है, जिसमें आयकर रिटर्न भरना, समय पर रिन्यू करना आदि शामिल है। इसका उद्देश्य विदेशी फंड पर निगरानी रखना, देश के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों पर नजर रखने, सुरक्षा सबंधी जानकारी रखना होता है। हालांकि, अगर सरकार को कुछ गलत तथ्य मिलते हैं तो वो रजिस्ट्रेशन रद्द भी कर सकती है।

ऐसा नहीं है कि हर कोई विदेशी फंड ले सकता है। रिपोर्ट्स के अनुसार विधानमंडल के सदस्य, राजनीतिक दल, सरकारी अधिकारी, जज और मीडिया के लोगों को विदेशों से चंदा उगाही पर पाबंदी है। मगर वो विदेशी कंपनियां फंड दे सकती हैं, जिनका भारत में 50 फीसदी से ज्यादा शेयर है। बता दें कि अभी सक्रिय एनजीओ की कुल संख्या 16,829 से बढ़कर 16,908 हो गई है।

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